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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra · www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - १ // ९/१०२ मयवितिक्कत च णं कडा किरिया दुक्खा जा सा पुव्विं किरिया दुक्खा कज्जमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवितिक्कंत च णं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणओ दुक्खा अकर ओ दुक्खा अकरणओ णं सा दुक्खा नो खलु सा करणओ दुक्खा सेवं वत्तव्वं सिया अकिां दुक्खं अफुसं दुक्खं अकनमाणकडं दुक्खं अकट्टु-अकट्टु पाण धूय जीव-सत्ता वेदणं वेदेतिइति वत्तव्वं सिया से कहमेयं भंते एवं गोयमा जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाय वेदणं वेदेति इति वत्तव्वं सिया जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु अहं पुण गोयमा एवमाइक्खामि एवं भासेमि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि एवं खलु चलमाणे चलिए [उदीरिश्रमाणे उदीरिए वेदेभाणे वेदिए पहिज्रमाणे पहीणे छिजमाणे छिष्णे भिन्नमाणे भिण्णे दज्झमाणे दड्ढे मिजमाणे ए] निजरिमाणे निजिणे दो परमामुपोग्गला एगयओ साहण्णंति कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति दोहं परमाणुयोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति ते मिश्रमाणा दुहा कज्रंति दुहा कामाणा एगयओ परमाणु-पोगले एगयओ परमाणुपोग्गले भवति तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति तिन्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्वि सिणेहकाए तम्हा तिणि परमाणुपोग्ला एयओ साहण्णंति ते भिजामाणा दुहा वि तिहा वि कजति दुहा कमाणा एगयओ परमाणुपोगले एगयओ दुपएसिए खंधे भवति तिहा कमाणा तिण्णि परमाणुपोष्णा भवंति एव चत्तारि पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति एगयओ साहणित्ता खंधत्ताए कति खंधे वि य णं से असासए सया समितं उवचिज्जइ य अवचिज्जइ य पुव्विं भासा अभासा भासिजमाणी भासा भासा भासासमय वितिक्कतं च णं भासिया भासा अभासा जा सा पुव्वि भासा अभासा भासिज्माणी भासा भासा भासासमयदि- तिक्कतं च णं भासिया भासा अभासा सा किं भासओ भासा अभासओ मासा भासओ णं भासा नो खलु सा अभासओ भासा पुव्वि किरिया अदुक्खा कमाणी किरिया दुक्खा किरियासमय वितिक्कतं च णं कजमाणी किरिया अदुक्खा जा सा पुदि किरिया अदुक्खा कज्रमाणी किरिया दुक्खा किरियासमयवितिवतकूकं चणं कमाणी किरिया अदुक्खा सा किं करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा करणओ गं सा दुक्खा नो खलु सा अकरणओ दुकूखा-सेवं वत्तव्वं सिया कि दुक्खं फुसं दुक्खं कमाणकडं दुकूखं कटु-कट्टु पाण-धूय जीव सत्ता वेदणं वेदेति - इति बत्तव्वं सिया १८91-81 - (१०३) अण्णउत्थिया णं भंते एवमाइक्वंति एवं भासंति एवं पनयेति एवं परूवेतिएवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति तं जहा इरियावहियं च संपराइयं च जे समयं इरियावहियं पकरेइ तं समयं संपराइयं पकरेइ जं समयं संपराइयं पकरेइ तं समयं इरियावहियं पकरेs इरियावहिय पकरणयाए संपराइयं पकरेइ संपराइयाए पकरणयाए इरियायहियं पकोइ एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति तं जहा - इरियावहियं च संपराइयं च से कहमेयं भंते एवं गोयमा जण्णं ते अण्णअउत्थिया एवमाइक्खति एवं भाति एवं पनवेति एवं परूवेति एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति जाव इरियावहियं च संपराइयं च [जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु अहं पुण गोयमा एवमाइक्खामि एवं भासेमि एवं पन्नवेमि एवं पुरुदेमि एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एक्कं किरियं पकरेइ तं जहा इरियावहियं या संपराइयं वा जं समयं इरियावहियं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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