SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 306
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-१४, उदेसी-५ २९७ थएजा से णं सत्य झियाएज्जा नो इणट्टे सपढे नो खतु तस्य सत्यं कमइ तत्य णं जे से अविग्गहगतिसमावन्नए नेरइए सेणं अगणिकायस्स मज्झमग्झेणं नो बीइवएडा से तेणद्वेणं जाव नो वीइवएजा, असुरकुमारे गंभंते अगणिकायस्स मज्झमंझेणं बीइवएना गोयमा अतोगतिए वीइवएना अत्यंगतिए नो वीइवएज्जा से केणटेणं जाव नो वीइवएजा गोयमा असुरकुमारा दुविहा पत्रता तं जहा-विगाहगतिसमावनगा य अविग्गहगतिसमावन्नगा च तत्य णं जे से विगहगतिसमावनए असुरकभारे से णं-एवं जहेव नेरइए जाव कमइ तत्थ णं जे से अविग्रहगतिसमावन्नए असुरकुमारे से ण अत्येगतिए अगणिकायस्त मझमझेणं वीइवएजा अत्येगतिए नो वीइवएजा जेणवीइवएशा सेणं तत्थ झियाएजा नो इणढे समढे नो खलु तत्य सत्थं कपइसे तेणद्वेणं एवं जाव धणियकुमारा एगिंदिया जहा नेरइया वेइंदिया णं भंते अगणिकायस्स मझमझेणं वीइवएज्जा जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि नवरं-जे णं वीइवएशा से णं तत्थ झियाएजा हंता झियाएजा सेसं तं चैव एवं जाव चउरिदिए पंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते अगणिकायस्स [मज्झंमज्झेणं वीइवएना) गोयमा अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएना से केणद्वेणं गोयमा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता तं जहा-विग्गहगतिसमावनगा य अविग्गहगतिसमावनगा य बिग्गहगतिसमादत्रए जहेव नेरइए जाव नो खलु तथ रात्वं कमइ अविगहगतिसमावनगा पंचिंदियतिरिक्खजोणीया विहा पनत्ता तं जहा-इटिप्पत्तः य अणिढिप्पत्ता य तत्थ णं जे से इढिप्पत्ते पंचिंदियतिरिक्खोणिए से णं अत्यंगतिए अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएजा जे णं बीइवएना से गं तत्थ झियाएजा नो इणढे समढे नो खलु तत्य सत्य कमइ तत्य णं जे से अणिड्दिप्यते पंचिंदियतिरिक्खजोगियए सो णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मन्झंसझेणं वीइवएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएजा जे णं वाइवएजा से णं तस्य झियाएजा हंता झियाएजा से तेणद्वेणं जाव नो वीइचएजा एवं पणुस्से वि वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिव जहा असुरकुमारे 1५१४|-515 (६१३) नेरइया दस ठागाई पच्चणुभवमाणा विहरंति तं जहा-अणिट्ठा सद्दा अणिटा रूवा अणिट्ठा गंधा अणिहा रसा अणिहा फासा अणिट्ठा गती अणिट्ठा ठिती अणिडे लावण्णे अणिढ़े जसे कित्ती अणिढे उठाण-कग्म-बल-वीरिय-पुरिसक्कारे-परक्कमे असुरकुमारा दस ठाणाई पञ्चणुभबमाणा विहरति तं जहा-इट्ठासद्दा इट्ठा रूदा जाव इडे उट्टाण-कम-बल-चीरिय-पुरिसकूकारपरक्कमे एवं जाव थणियकुमारा पुढविक्काइया छट्टाणाई पञ्चगुटभक्माणा विहरंति तं जहाइटाणिट्टा फासा इटापिट्टा गती एवं जाब पुरिसकार-परक्कमे एवं जाव वणस्सइकाइया बेइंदिया सत्तट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहति तं जहा-इटाणिट्ठा रसा सेसं जहा एगिदियाणं, तेइंदिया अट्ठाणाई पचणुदभवमाणा विहरंति तं जहा-इटाणिट्ठा गंधा सेसं जहा बेइंदियाणं, चउरिदिया नवट्ठाणाइं पचणुभवमाणा विहरति तं जहा-इटाणिवा स्वा सेसं जहा तेइंदियाण पंचिंदियतिरिस्खजोणिया दस ठाणाई पचणुय्मवमाणा विहरति तं जहा इट्टाणिहा सद्दा जाव परिसककारपरक्कमे एवं मणुस्सा विवाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा॥५१५1-516 (१४) देवे गं भंते महिड्ढीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता एभू तिरियपव्वयं या तिरिवभित्तिं वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेतए वा नो इणढे सपढे देवे णं भंते महिड्ढीए जाव महेसक्ने बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय [पव्ययं वा तिरियभित्तिं वा उल्लंघेत्तए वा] For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy