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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं - १२, उद्देतो - १० २७३ नियमं आया आया भंते नेरइयाणं नाणे अण्णे नेरइयाणं नाणे गोयमा आया नेरइयाणं सिय नाणे सिय अन्नाणे नाणे पुण से नियमं आया एवं जाव यणियकुमाराणं आया भंते पुढविकाइयाणं अन्नाणे अपणे पुढविकाइयागं अन्नाणे गोयमा आया पुढचिकाइयाणं नियमं अन्नाणे, अन्नाणे वि नियमं आया एवं जाव वणस्सइकाइयाणं बेइंदिय-तेइंदियाणं जाव वैमाणियाणं जहा नेरइयाणं आया मंते दंसणे अण्णे दंसणे गोयमा आया नियमं दंसणे, दंसणे वि नियमं आया आया भंते लेरयाणं दंसणे अण्णे नेरइयाणं दंसणे गोयमा आया नेरइयाणं नियमं दंसणे, दंसणे वि से नियमं आया एवं जाव वैमाणियाणं निरंतरं दंडओ।४६७ -468 (५६२) आया भंते रयणप्पभा पुढवी अण्णा रवणप्पभा पुढवी गोवमा रयणम्पमा पुढवी सिय आया सिय नोआना सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइरयणप्पा पुढवी सिय आया सिव नोआया सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य गोयमा अप्पणी आदि आया परस्स आदिट्ठे नोआया तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं रयणप्पभा पुढवी आयाति य नोआयाति य से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुइ - रयणप्पभा पुढवी सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य आया भंते सक्करण्पभा पुढवी जहा रवणप्पभा पुढवी तहा सक्करप्पभावि एवं जाव आहेसत्तमा आया भंते सोहम्मे कप्पे पुच्छा गोयमा सोहम्मे कप्पे सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्वं- आयाति य नोआयाति य से केणद्वेष्णं भंते जाव आयाति य नोआयाति य गोयमा अप्पणो आइट्ठे आया परस्स आइट्ठे नोआया तदुभयस्स आइडे अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य से तेणणं तं चेव जाव आयाति य नोआयाति य एवं जाव अच्चुए कप्पे आया मंते गेवेजविमाणे अण्णे गेवेजविमाणे एवं जहा रयणप्पभा तहेब एवं अनुत्तरविभाणा वि एवं ईसिपमा वि आया भंते परमाणुपोग्गले अण्णे परमाणुपोग्गले एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियव्वे आया मंते दुपएसिए खंधे सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया सिय आया य अवत्तव्यं -आयाति य नोआयाति य सिय नोआया य अवत्तव्यं आयाति व नोआयाति य से केणद्वेणं भंते एवं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य गोयमा अप्पणी आदि आया परस्स आदिट्ठेनोआया तदुभयस्स आदि अवत्तव्वं दुपएसिए खंधे-आयाति य नोआयाति य देसे आदि समावपञ्जवे देसे आदिले असमावपञ्जवे दुप्पएसिए बंधे आया व नोआया य देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदि तदुभयपजवे दुपए सिए खंधे आया य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य देसे आदिट्टे असव्यावपजवे देसे आदि तदुभयपजवे दुपए सिए खंधे नोआया य अवतव्वं - आयाति य नो आयाति य से तेणद्वेणं तं चैव जाव नो आचा व वत्तव्यं आयाति य नोआयाति य आया मंते तिपएसिए खंधे अण्णे तिपएसिए खंधे गोयमा तिपसिए खंधे सिय आया सिय नो आया सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया सिय आया य नोआयाओय सिय आयाओ य नोआया य सिया आया य अवत्तव्वं- आयाति य नोआयाति य सिय आया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नोआयाओ य सिय आयाओ य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य लिय नोआया य अवत्तव्वं- आयाति य नोआयाति य सिय नोआया य अवत्तव्वाई- आयाओ य नोआयाओ य सिय नोआयाओ य अवसव्वं आयाति य नोआयाति य सिय आया व नोआया य 5 18 For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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