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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २६४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - १२ /-/ ४ / ५४१ घोग्गलपरियट्टा अनंतगुणा सेवं भंते सेवं भंते ति भगवं जाव विहरइ । ४४७/-448 बारसते सते चउत्यो उद्देसो समत्तो -: पंच मोउ हे सो :-- (५४२) रायगिहे जाव एवं वयासी अह भंते पाणाइवाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे - एस णं कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते गोयमा पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे उफासे पन्नत्ते अह भंते कोहे कोवे रोसे दोसे अखमा संजलणे कलहे चंडिक्के मंडणे विवादे-एस कविणे जाव कतिफाले पत्रत्ते गोयमा पंचदण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पत्रत्ते अह भंते माणे दे दप्पे थं गव्वे अतुक्कोसे परपरिवाए उक्को से अवक्कोसे उष्णत्ते उण्णामे दुण्णामे- एस जं कतिवणे जाव कतिफासे पत्रत्ते गोयमा पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पन्नत्ते अह भंते माया उवही नियडी बलए गहणे नूमे कक्के कुरुए जिम्हे किब्बिसे आयरणया गृहणया वंचणया पतिउंचणया सातिजोगे - एस णं कतियपणे जाव कतिफासे पत्रत्ते गोयमा पंचवण्णे (दुगंधे पंचरसे चउफासे पन्नत्ते] अह भंते लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तरहा भिज्झा अभिज्झा आसासणया पत्थणया लालप्पणया कामासा भोगासा जीवियासा मरणासा नंदिरागे-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पत्ते (गोयमा पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पन्नत्ते अह भंते पेजे दोसे कलहे अम्मखाणे पेसुत्रे पर परिवाए अरतिरती मायामोसे मिच्छादंसणसल्ले-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पनते [गोयमा पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पत्रत्ते] 1४४८1-449 (५४३) अह भंते पाणाइवयवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे एस णं कतिवण्णे जाय कतिफाले पत्रत्ते गोयमा अवण्णे अगंधे अरसे अफासे पन्त्रत्ते अह भंते उप्पत्तिया बेणइया कम्मया पारिणामिया एस णं कतिवण्णा जाव कतिफासा पत्रत्ता [गोयमा अयण्णा अगंधा अरसा अफासा पत्रता ] अह भंते ओग्गहे ईहा अवाए धारणा - एस कतिवण्णा जाव कतिफासा पत्रत्ता [ गोयमा अवण्णा अगंधा अरसा अफासा पत्रता अह भंते उड्डाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार- परक्कमे एस णं कतिवण्णे जाब कतिफासे पन्नत्ते [गोयमा अवणे अगंधे अरसे] अफासे पनते सत्तमे णं भंते ओवासंतरे कतिवण्णे जाव कतिफासे पत्रत्ते [गोयमा अवण्णे अगंधे अरसे] अफासे पन्नत्ते सत्तमे णं भंते तणुवाए कतिवण्णे जाय कतिफासे पनते [गोयमा पंचवष्णे दुगंधे पंचरसे] अट्ठफासे पत्रत्ते एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए घणोदधी पुढवी छट्टे ओवासंतरे अवण्णे तणुवाए जाव छट्ठी पुढवी- एयाई अट्ठफालाई एवं जहा सत्तमा पुढवीए वत्तव्यया भणिया तहा जाब पढमाए पुढवीए भाणियव्वं जंबुद्दीवे दीवे जाव संयभुरमणे समुद्दे सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपटमारा पुढवी नेरइयावासा जाव वेमाणियावासा - एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि नेरइयाणं भंते कतिवण्णा जाव कतिफासा पत्रत्ता गोयमा देउव्विय-तेवाई पडुख पंचवण्णा दुगंधा पंचरसा अट्ठफाला पत्रत्ता कम्पगं पडुच पंचवण्णा दुगंधा पंचरसा चउफासा पत्ता जीवं पडुन अवण्णा जाव अफासा पत्रत्ता एवं जाव थणियकुमारा, पुढविक्काइयाणं- पुच्छा गोयमा ओरालिय-तेयगाइं पडुन पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पत्रत्ता कम्मगं पहुच जहा नेरइयाणं जीवं पडुन तहेव एवं जाव चउरिदिया नवरं वाउक्काइया ओरालिय- वेउब्विय-तेयगाई पडुच पंचवण्णा जाय अट्ठफासा पत्रत्ता सेसं जहा नेरइयाणं पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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