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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९० भगवई - ९/-/ ३२/४५२ पुच्छा, गंगेया नो संतरं पुढविक्काइया उच्चति निरंतरं पुढविकाइया उव्वटंति एवं जाव चणस्स इकाइया-नो संतरं निरंतरं उच्चति संतरं भंते बेइंदिया उव्वति निरंतरं बेइंदिया उव्वद्वृति गंगेया संतरं पिबेइंदिया उव्वति निरंतरं पि बेइंदिया उच्चट्टंति एवं जाव वाणमंतरा संतरं भंते जोइसिया चयंति - पुच्छा, गंगेया संतरं पि जोइसिया चयंति निरंतरं पि जोइसिया चयंति एवं वेमाणिया वि । ३७१ | -372 (४५३) कतिविहे णं भंते पवेसणए पन्नत्ते गंगेया चउच्चिहे पवेसणए पत्रत्ते तं जहानेरइयपवेसणए तिरिक्खजोणियपवेसणए मणुस्सपवेसणए देवपवेसणए, नेरइयपवेसणए णं भंते कतिविहे पत्ते गंगेया सत्तविहे पत्रत्ते तं जहा रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाय अहेसतमापुढविनेरइयपवेसणए एगे भंते नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होज्जा सक्करष्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होजा गंगेया रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होजा दो भंते नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसभाणा किं रयणप्पमाए होज्जा जाब अहेमतमाए होजा गंगेया रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्यभाए एगे चालुयप्पभाए होजा जाव एगे रयणप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पाए होजा जाव अहवा एगे सकूकरप्पभाए एगे असत्तभाए होजा अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभए होज्जा एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा एवं एक्केका पुढवी छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे असतमाए होजा तिणि भंते नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणम्पभाए होला जाव अहेसत्तमाए होज्जा गंगेया रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा अहवा एगे रयणप्यभाए दो सक्करप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो आहेसत्तमाए होजा अहवा दो सकूकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया तहा सव्यपुढवीणं भाणियव्वं जाब अहवा दो तमाए एगे असत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकूकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकष्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सकुकरप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे बालुयप्पभा एगे पंकप्पमाए होज्जा अहदा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होला जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहंसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे बालुवप्पभाए एगे पंकष्पभाए होज्जा अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा जाव अहया एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे सकूकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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