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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - ११-२/२७ नेरइया नो सब्बे समवेयणा गोयमा नेरइया दुविहा पत्रता तं जहा-सण्णिभूया य अस-णिभूया य तत्थ णं जे ते सणिभूया ते णं महावेयणा तत्य णं जे ते असण्णिमूया ते णं अप्प-वेयणतरागा से तेणडेणं गोयमा एवं वुच्चइनोइया नो सव्वे समवेयणा नेरइया णं भंते सव्ये समकिरिया गोयमा नो इणढे समढे से केणद्वेणं भंते एवं बुधइ-नेरइया नो सब्वे समकिरिया गोयमा नेरइया तिविहा पन्नत्ता तं जहा-सम्पदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी तत्थ णं जे ते समदिट्ठी तेसिणं चत्तारि किरियाओ पत्रत्ताओ तं जहा- आरंभिया पारिग्गहिया मायावत्तिया अप्पचक्खाणकिरिया तत्य णं जे ते मिच्छदिट्टि तेसि णं पंच किरियाओ कजंति तं जहा आरंभिया जाय मिच्छादसणवत्तिया एवं सम्मामिच्छदिट्टीण पि से तेणटेणं गोयमा एवं बुच्चइ-नेरइया नो सव्ये समकिरिया नेरइया णं भंते सव्वे समाउया सव्ये समोधवत्रगा गोयमा नो इणद्वे समटे से केणडेणं मंते एवं वुच्चइ-नेरइया नो सब्बे समाउया नो सब्बे समोववत्रगा गोयमा नेर- इया चउविव्हा पन्नत्ता अत्येगइया समाउया समोववनगा अत्थेगइया समाउया विसमोववत्रगा अत्यंगइया विसमाउया समोववनगा अत्यगइया विसमाउया विसमोययत्रगा से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइ-नेरइया नो सब्वे समाउया नो सव्वे समोवयत्रगा असुरकुमारा णं भंते सव्वे समाहारा सब्वे समसरीरा जहा नेरइया तहा भाणियव्या नवरं-कम्म यण्ण-लेस्साओ परिवत्तेयव्याओ पच्चोववत्रा महाकम्मतरा अविसुद्धवण्णतरा अविसुद्धलेसतरा पच्छोववत्रा पसत्था सेसं तहेव, एवं-जाव थणियकुमारा पुढविकाझ्याणं आहार-कम्म-यण्ण-लेस्सा जहा नेरइयाणं, पुढविकाइया णं भंते सव्वे समवेदाणा हंता गोयमा पुढविकाइया सव्ये समवेदणा से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ-पुढविकाइया सवे समवेदणा गोयमा पुढविकाइया सव्ये असण्णी असणिभूतं अनिदाए वेदणं वेदेति से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समवेदणा पुढयिकाइया णं मंते सव्वे समकिरिया हंता गोयमा पुढविकाइया सव्वे समकिरिया से केणटेणं भंते एवं बुचइ-पुढविकाइया सव्वे समकिरिया गोयमा पुढविकाइया सव्वे मायीमिच्छदिट्ठी ताणं नेयतियाओ पंच किरियाओ कजंति तं जहा-आरंथिया जाव मिच्छादसणवत्तिया से तेणद्वेण गोवमा एवं बुच्चइ-पुढविकाइया सव्ये समकिरिया समाउया समोववनगा जहा नेरइया तहा भाणियब्वा जहा पुढविकाइया तहा जाव चउरिदिया पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरडया नाणतं किरियासु पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते सव्वे समकिरिया गोयमा नो इणढे समढे से केपट्टेमं भंते एवं चइ-पंबिंदियतिरिक्खजोणिया नो सब्बे समकिरिया गोयमा पंचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा प.-सम्मदिट्ठी मिछदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी तत्य णं जे ते सम्पदिट्ठी ते दुविहा प.-असंजया य संजया-संजया य तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसि णं तिणि णं तिण्णि किरियाओ कजंति तं जहा-आरंभिया पारिगहिया मायावत्तिया असंजयाणं चत्तारि मिच्छदिट्ठीणं पंच सम्मामिच्छदिट्ठीणं पंव मणुस्सा णं भंते सव्ये समाहारा सब्बे समसरीरा सव्ये समुस्सासनीसासासा गोयमा नो इणढे समढे से केपट्टेणं भंते एवं वुचइ-मणुस्सा नो सव्वे समाहारा नो सब्बे समसरीरा नो सज्बे समुस्सासनीसासा गोयमा मणुस्सा दुविहा पत्रत्ता तं जहामहासरीरा य अप्पसरीरा य तत्य णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारति बहुतराए पोग्गले परिणामेति बहुतराए पोग्गले उस्ससंति बहुतराए पोग्गले नीससंति आहच्च आहारैति आहच्च परिणामेति आहम उस्सासंति आहन नीससंति तत्य णं जे ते अप्पप्तरीरा तेणं अप्पतराए For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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