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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मई ततं - उद्देसो-३ १११ नो सुहत्ताए भुजो-भुजो परिणमंति हंता गोयमा महाकम्मस्स तं चेव से केणटेणं गोयमा से जहानामए वत्थस्स अयस्स वा घोयस्स वा तंतुग्गयस्स वा आणुपुब्बीए परिभुजमाणस्स सवओ पोग्गला बझंति सव्यओ पोग्गला चिजंति जाव परिणमंति से तेणद्वेणं से नूणं भंते अप्पकम्मस्स अप्पकिरियस्स अप्पासवस्स अप्पवेदणस्स सवओ पोग्गला भिऑति सवओ पोग्गला छिज्जति सव्वओ पोग्गला विद्धंसंति सचओ पोग्गला परिविलुप्तंति सया सभियं पोग्गला भिङ्गंति सया समियं पोग्गलाछिजति सय समियं पोग्गला विद्धंस्संति सया समियं पोग्गला परिविद्धस्संति सया समियं च णं तस्स आया सुरुवत्ताए सुवण्णत्ताए सुगंधत्ताए सुरसत्ताए सुफासत्ताए इद्वत्ताए कंतताए पियताए सुभत्ताए मणुण्णताए मणामत्ताए इच्छित्ताए अणभिज्झियत्ताए उड्ढत्ताए-नो अहत्ताए सुहत्ताए-नो दुक्खताए भुजो-भुञ्जो परिणमंति हंता गोयमा जाव परिणमंति से केणद्वेषं गोयमा से जहानामए वत्थस्स जल्लियस्स या पंकियस्स वा मइल्लियस्स वा रइल्लियस्स वा आणुपुबीए परिकम्मिनमाणस्स सुद्धेणं वारिणा धोव्येमाणस्स सव्वओ पोग्गला भिजंति जाव परिणमंतिसे तेणद्वेणं ।२३२।-232 (२८१) वयस्सणं भंते पोग्गलोयचए किं पयोगसा वीससा गोयमा पयोगसा वि वीससा वि जहा णं भंते वत्थस्स णं पोग्गलोयचए पयोगसा वि वीससा वि तहा णं जीवाणं कम्मोवचए किं पयोगसा वीससा गोयमा पयोगसा नो वीससा से केणद्वेणं गोयमा जीवाणं तिविहे पयोगे पत्रत्ते तं जहा-मणप्पयोगे वइपयोगे कायप्पयोगे इचेएणं तिविहेणं पयोगेणं जीयाणं कम्मोवचए पयोगसा नो वीससा एवं सब्बेसि पंचिंदियाणं तिविहे पयोगे भाणियचे पुढवीकाइयाणं एगविहेणं पयोगेणं एवं जावं यणस्सइकाइयाणं विगलिंदियाणं दुविहे पयोगे पनत्ते तं जहा-वइपयोगे कायपयोगे य इच्चेणं विहेणं पयोगेणं कम्मोयचए पयोगसा नो वीससा से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चइ-जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा नो वीससा एवं जस्स जोपयोगो जाव वेमाणियाणं।२३३।-233 (२८२) वस्थस्सणं भंते पोग्गलोवचए किं सादीए सपञ्जवसिए सादीए अपज्जवसिए अणादीए सपज्जयसिए अणादीए अपज्जवसिए गोयमा वत्यास णं पोग्गलोवचए सादीए सपञ्जवसिए नो सादीए अपञ्जवसिए नो अणादीए सपज्जवसिए नो अणादीए अपज्जयसिए जहा णं भंते वत्थस्स पोग्गलोवचए सादीए सपञ्जयसिए नो सादीए अपज्जवसिए नो अणादीए सपज्जवसिए नो अणादीए अपन्जवसिए तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा गोयमा अत्थेगतियाणंजीवाणं कम्पोक्त्तए सादीए सपञ्जवसिए अत्येगतियाणं अणादीए सपज्जवसिए अत्येगतियाणं अणादीए अपज्जवसिए नो चेव जंजीवाणं कम्मोवचए सादीए अपज्जवसिए से केणद्वेणं गोयमा इरियावहिय-बंधयस्स कम्मोवचए सादीए सपञ्जवसिए भवसिद्धियस्स कम्मोचिए अणादीए सपञ्जवसिए अम- वसिद्धियस्स कम्पोवचए अणादीए अपञ्जवसिए से तेणडेणं, वत्थे णं भंते किं सादीए सपजवसिए-चउभंगो गोयमा बत्ये सादीए सपजवसिए अवसेसा तिष्णि वि पडिसेहेयव्वा जहा णं मंते वत्थे सादीए सपजवसिए नो सादीए अपज्जवसिए नो अणादीए सपज्जवसिए नो अणादीए अपज्जवसिए तहा णं जीवा किं सादीया सपन्नवसिया चउभंगो-पुच्छा गोयमा अत्यंगतिया सादीया सपञ्जवसिया-चत्तारि वि पाणियव्वा से केणद्वेणं गोयमा नेरतिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवा गतिरागतिं पडुच सादीया सपञ्जवसिया सिद्धा गतिं पडुच्च सादीया अपनवसिया भवसिद्धिया लद्धिं पडुछ अणादीया सपज्जवसिया अभवसिद्धिया संसारं पइन्च अणादीया अपज्जवसिया से तेणडेणं ।२३४1-234 For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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