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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - ५ /-/ ७ /२५३ १०२ गोयमा सिय एयति सिय नो एयति सिय देसे एयति नो देसे एयति सिय देसे एयति नो देसा एयंति सिय देसा एयंति नो देसे एयति सिय देसा एयंति नो देसा एयंति जहा घउप्पएसिओ तहा पंचपएसिओ तहा जाव अनंतपएसिओ | २१२ 212 (२५४) परमाणुपोग्गले णं भंते असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा हंता ओगाहेज्जा से णं भंते तत्य छिज्जेज वा भिजेज वा गोयमा नो तिणट्टे समट्टे नो खलु तत्य सत्यं कमइ एवं जाव असंखेज्जपएसिओ अनंतपएसिए णं भंते खंधे असिधारं वा खुरधारं या ओगाहेजा हंता ओगाहेजा से णं भंते तत्थ छिलेज वा भिजेज या गोयमा अत्येगइए छिज्जेज वा भिजेज वा अत्येगइए नो छिज्जेज वा नो भिजेज वा [ परमाणुपोग्गले णं मंते] अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं [वीइवएजा हंता वीज से णं मंते तत्य झियाएजा गोयमा नो इणट्टे समझे नो खलु तत्थ सत्यं कमइ से णं भंते पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं वइवएज्जा हंता वीइवएज्जा से णं भंते तत्थ उल्ले सिया गोयमा नो इणट्टे समट्ठे नो खलु तत्थ सत्यं कमइ से णं भंते गंगाए महानदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा हंता हव्वमागच्छेज्जा से णं भंते तत्य विणिहायमावज्जेज्जा गोयमा नो इणट्टे समट्ठे नो खलु तत्थ सत्य कमइ से णं भंते उदगावतं वाउदगबिंदु वा ओगाहेजा हंता ओगाहेज्जा से णं भंते तत्य परियावज्जा गोयमा नो इजट्टे समट्ठे नो खलु तत्थसत्थं कमइ एवं जाव असंखेनपएसओ अनंतएसिए णं मंते खंधे अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा हंता वीइवएज्जा से णं भंते तत्थ झियाएजा गोयमा अत्येइए झियाएजा अत्येगइए नो झियाएजा से णं भंते ] पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस मज्झमज्झेणं [वीइवएज्जा हंता वीइवएजा से णं भंते तत्व उल्ले सिया गोयमा अत्येगइए उल्ले सिया अत्तेगइए नो उल्ले सिया से णं भंते गंगाए महानईए पडिसोयं हव्यमागच्छेजा हंता हव्यमागच्छेजा से णं भंते विणिहायमावज्जेज्जा गोयमा अत्येगइए विणिहायमावज्जेज्जा अत्येगइए नो विहाय मावज्रेज्जा से णं भंते] उदगहावत्तं वा उदगबिंदु वा ओगाहेजा हंता [ ओगाहेजा से णं भंते तत्थ परियावज्जेज्जा गोयमा अत्येगइए परियावज्रेज्जा अत्येगइए] नो परियावज्रेजा | २१३ |213 (२५५) परमाणुपोग्गले णं भंते किं सअड्ढे समझे सपएसे उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे गोयमा अणड्ढे अमज्झे अपएसे नो सअड्ढे नो समज्झे नो सपएसे दुप्पएसिए णं भंते खंधे कि सअड्ढे समज्झे सपएसे उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे गोयमा सअड्ढे अमज्झे सपएसे नो अणड्ढे नो समज्झे नो अपएसे तिप्पएसिए णं मंते खंधे पुच्छा गोयमा अणड्ढे समज्झे सपएसे नो सअड्ढे नो अमज्झे नो अपएसे जहा दुप्पएसिओ तहा जे समा ते भाणियव्या जे विसमा ते जहा तिप्पएसओ तहा भाणियव्वा संखेज्जपएसिए णं भंते खंधे किं सअड्ढे पुच्छा गोयमा सिय सअड्ढे अज्झे सपएसे सिय अणड्ढे समज्झे सपए से जहा संखेजपएसओ तहा असंखेज्जपएसिओ वि अनंतपएसिओ वि १२१४१-214 (२५६) परमाणुपोग्गले णं भंते परमाणुपोग्गलं फुसमाणे किं देसेणं देतं फुसइ देसेहिं देसे फुसइ देसेणं सव्वं फुसइ देसेहिं देसे फुसइ देतेहिं देसे फुसइ देसेहिं सव्वं फुसइ सव्वेणं देसं फुसइ सव्वेणं देसे फुसइ सव्वेणं सव्वं फुसइ गोयमा नो देसेणं देसं फुसइ नो देसेणं देसे फुसइ नो देसेणं सव्वं फुसइ नो देसेहिं देतं फुसइ नो देसेहिं देसे फुसइ नो देसेहिं सव्वं फुसइ नो सव्वेणं देसं फुसइ नो सव्वेणं देसे फुसइ सव्वेणं सव्वं फुसइ परमाणुपोग्गले दुप्पएसियं फुसमाणे सत्तम - नवमेहिं फुसइ परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे निपच्छिमएहिं तिहिं फुसइ जहा परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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