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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सपनाओ - ८८/१६७ णं सारए दोच्चं छप्मासं अयमीणे चोवा-लीसतिने मंडलगते अट्टासीई इगसट्ठिभागे मुहत्तप्स रवणिखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता दिवखेत्त- स्स अभिनिवुड्ढेत्ता णं सूरिए चारं चाइ ८८1-88 • अवासीइइमो समवाओ सपत्तो. एगणनउइइमो-समवाओ (१६८) उसमे णं कोसलिए इमीसे ओसप्पिणीए ततियाए समाए पच्छिमे भागे एगणनउइए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए वीइक्कंते [समुञ्जाए छिण्णजाइ जरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिब्बुड़े सव्वदुक्खप्पहीणे] समणे भगवं महावीरे इपीसे ओप्तप्पिणीए चउत्थीए समाए पच्छिमे भागे एगणनउइए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए वीइक्कंते समुजाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे [बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिबुडे सव्वदुक्खप्पहीणे] हरिसेणे णं राया चाउरंतचकचट्टी एगणनरई वाससयाई महाराया होत्था संतिस्स णं अरहओ एगणनउई अज्ञासाहस्सीओ उककोसिया अज्ञासंपया होत्था १८९।-89 . एगणनउइइमो समवाओ सपत्तो. नउइइमो-समवाओ १६९) सोचले णं अरहा नऽई धणूई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था अजियस्स णं अरहओ नउइं गणा नउई गणहरा होत्था संतिस्स णं अरहओ नई गणा नउई गणहरा होत्था सवंभुस्स णं वासुदेवस्स नउइवासाई विजए होत्या सव्वेसि जं वट्टवेयड्ढपव्वयाणं उवरिल्लाओ सिहरतलाओ सोगंधियकंडस्स हेछिल्ले चरिमंते एस णं नई जोयणसयाई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते।९०1-90 • नउइइमो समयाभो समत्तो. | एक्काणउइइमो-सपयाओ (१७०) एक्काणउई परवेयावच्चकम्मपडिमाओ प. कालोए णं समुद्दे एक्काणउई जोयणसहस्साइं साहियाई परिक्खेवणं प. कुंथुस्स णं अरहओ एककाणउई आहोहियसया होत्था आउय-गोय-वजाणं छण्हं कम्मपगदीणं एक्काणउई उत्तरपगडीओ प..९११-91 • एक्काणउइइमो समवाओ समत्तो. बाणउइइमो-सपवाओ (१७१) बाणउइं पडिमाओ पनत्ताओ थेरे णं इंदभूती वाणउई वासाई सव्याउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे [मुत्ते अंतगडे परिनिच्युड़े सव्यदुकखप्पहीणे मंदरस्स णं पव्ययस्सं बहुमज्झदेसभागाओ गोथुमस्स आवासपव्वयस्स पञ्चस्थिमिल्ले चरिमंते एस णं वाणउइं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे पन्नत्ते एवं चउण्हंपि आवासपव्वावाणं १९२।-92 • बाणउइइमो समदाओ समतो. | तेणउइइमो-समवाओ (१७२) चंदप्पहस्स णं अरहओ तेणउइं गणा तेणउई गणहरा होत्था संतिस्स णं For Private And Personal Use Only
SR No.009730
Book TitleAgam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages82
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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