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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टाणं - ४१२८७ हिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-कणगा कणगलता चित्तगुत्ता वसुंधरा एवं-जमरस धरुणस्स वेसमणस्स बलिस्स णं चइरोयर्णिदस्स बइरोयणरण्णो सोमवस्स महारणो सत्तारि अगमहिसीओ पन्नताओ तं जहा-मितगा सुमद्दा विजुता असणी एवं-जमस्स येसमा यस वरुणस्स धरणस्सं णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररणो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि आगपाहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-असोगा विमला सुप्पपा सुंदसणा एवं जावं संखवालस्स भूताणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स महारपणो चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-सुणंदा सुभद्दा सुजाता सुमणा एवं जाव सेलवालस्स जहा धरणस्स एवं सव्वेसिं दहिणिंदलोगपालाणं जाव धोसस्स जहा भूताणंदस्स एवं जाव महाधोसस्स लोगपालाणं कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरपणो चत्तारि अगमहिसीओ पन्नताओ तं जहा-कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा एवं महाकालस्सवि सुरुवस्स णं भूर्तिदस्स भूतरण्णो चत्तारि अग्गपहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा एवं-पडिस-वस्सवि पुणमहस्स णं जक्खिदस्स जनरण्णो चत्तारि अगमहिसीओ पन्नताओ तं जहा-पुण्णा बहुपुण्णिता उतमा तारगा एवं-माणिमद्दस्सवि भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खप्तरपणे चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-पउमा वसुमती कणगा रतणप्पभा एवं महाभीमसस्सवि किण्णरस्स णं किणरिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नताओ तं जहा-वडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पभा एवं-कंपरिस्सवि सप्परिसस्स णं किंपरिसिंदस्स चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-रोहिणी नवमिता हिरी पुष्फवती एवं-महापुरिसस्सवि अतिकायरस पण महोरगिंदरस चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-भुयगा मुयगावती महाकच्छा फुडा एवं-महाकायस्सवि गीतरतिस्स णं गंधब्बिदस्स गंधब्बरण्णो चत्तार अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहासुधोसा विमला सुस्सरा सरस्सती एवं-गीयजसस्सवि चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-चंदप्पमा दोसिणाभा अच्चिमाली पमंकरा एवंसूरस्सवि पवर-सूरप्पमा दोसिणाभा अच्चिपाली पभंकरा इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अगमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-विजया वेजयंति जयंती अपराजिया एवं-सव्वेसिं महागहाणं जाव भावकेउस्स सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अप्पमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-रोहिणी पयणा चित्ता सापा एवं जाव वेसमणस्स ईयाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहापुढवी राती रयणी विज्जू एवं जाव वरुण्णस्स ।२७३। -3 (२८८) चत्तारि गोरसविगतीओ पन्नत्ताओ तं जहा-खीरं दहिं सपिं नवनीतं चत्तारि सिणेहविगतीओ पन्नत्ताओ तं जहा-तेल्लं घयं वसा नवनीतं चत्तारि महाविगतीओ पन्नताओ तं जहा-महुं मंसं मलं नवणीतं ।२७४।-274 (२८९) चत्तारि कूडागारा पन्नत्ता तं जहा-गुते नाम एगे गुत्ते गुत्ते नाम एगे अगुत्ते अगुत्ते नाम एगे गुत्ते अगुत्ते नाम एगे अगुत्ते एवामेव चतारि पुरिसजावा पन्नता तं जहा-गुत्ते नामं गुत्ते गुत्ते नामं एगे अगुत्ते अगुते नामं एगे गुत्ते अगुत्ते नामं एगे अगुत्ते चत्तारि कूडागारसालाओ पन्नत्ताओ तं जहा-गुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा गुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा अगुता णाममेगा गुत्तदुवारा अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा एवामेव चतारित्थीओ पण्ण For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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