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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ टाणं . १०/-1444 - - - - - लोगे ताव ताव जीवाण य पोग्गलाण य गतिपरियाए एवंप्पेगा लोगद्विती प. सब्बेसुवि णं लोगंतेसु अबद्धपासपटा पोग्गला लुक्खत्ताए कनंति जेणं जीवा य पोग्गला य नो संचायंति बहिया लोगंता गमणयाए-एवंप्पेगा लोगहिती प. १७०४।-704 (८८९) दसविहे सद्दे पन्नत्ता (तं जहा)-७०५/-705 (८९०) नीहरि पिडिमे लुक्खे भिण्णे जज्जरिते इय दीहे रहस्से पुहत्ते य काकणी खिखिनिस्सरे ॥१४२)1-1 (८९१) दस इंदियत्था तीता पन्नत्ता तं जहा देसेणवि एगे सद्दाई सुणिंसु सब्बेणवि एगे सद्दाई सुणिंसु देसेणवि एगे रूवाई पार्सिसु सवेणवि एगे त्याई पाप्सुि देसेणवि एगे गंधाई जिंधिंसु सब्बेणवि एगे गंधाई जिंधिसु देसेणवि एगे रसाई आसादेसुं सदेणवि एगे रसाइं आसादेसुं देसेणवि एगे फासाई पडिसंवेदेंसु सब्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेंसु दस इंदियस्था पडुपण्णा पन्नता तं जहा-देसेणवि एगे सद्दाइं सुणेति जाव फासाइं पडिसंवेदेति दस इंदियत्या अणागता पन्नता तं जहा-देसेणवि एगे सद्दाइं सुणिस्संति जाव फासाई पडिसंवेदेस्संति ७०६1-706 (८९२) दसहि ठाणेहिं अछिपणे पोग्गले चलेज्जा तं जहा-आहारिज्जमाणे वा चलेज्जा परिणामेन्जमाणे वा चलेजा उस्ससिजमाणे वा चलेजा निस्ससिज्जमाणे वा चलेजा वेदेजमाणे वा चलेज्जा निजरिजमाणे वा चलेजा विउविजमाणे वा चलेजा परियारिन्जमाणे वा चलेजा जक्खाइटे वा चलेज्जा वातपरिगए वा चलेना ७०७/-707 (८९३) दसहिं ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिया त जहा-मणुण्णाई मे सद्द फरिस-रस-रूवगंधाई अवहरिंसु अमणुण्याई मे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाइं उवहरिंसु मणण्णाइं मे सद्द-फरिसरस-रूप-गंधाइं अवहरइ अमणुण्णाई मे सद्द-फरिस-स-रूव गंधाइं उवहरति मणुण्णाई मे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाई अवहरिस्सति अमणुण्णाई मे सद्द-फरिस-रसरुव-गंधाइं उवहरिस्साते मणुण्णाई मे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाई अवहरिसु वा अवहरति वा अवहरिस्सति वा अमणुण्णाई मे सद्द जाव उवहरिंसु वा उवहरति वा उवहरिस्सति वा मणुण्णामणुण्णाई मे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाइं अवहरिंसु वा अयहरति वा अवहरिस्सति वा उवहरिंसु वा उवहरति वा उवहरिस्सति वा अहं च णं आयरिय-उवज्झायाणं समं वट्टामि ममं च णं आयरियउवज्झाया मिच्छं विपडिवना (७०८1 -708 (८१४) दसविधे तंजमे पन्नत्ता तं जहा-पुढविकाइयसंजमे [आउकाइयसंजमे तेउकाइयसंजमे वाउकाइयसंजमे वणस्सतिकाइयसंजमे बेइंदियसंजमे तेइंदियसंजमे चउरिदियसंजमे पंचिंदियसंजमे अजीवकायसंजमे दसविधे असंजमे पन्नत्ता तं जहा-पदविकाइयअसंजमे आउकाइयअसंजमे तेउकाइअसंजमे वाउकाइयअसंजमे वणस्सतिकाइयअसंजमे बेइंदियअसंजमे तेइंदियअसंजमे चउरिदियअसंजमे पंचिंदियअसंजमे अजीवकायअसंजमे दसविधे संवरे पन्नता तं जहा-सोर्तिदियसंवरे चिक्खिदियसंवरे घाणिदियसंवरे जिभिदियसंवरे फासिंदियसंदरे मणसंवो वयसंवरे कायसंवरे उवकरणसंवरे सूचीकुसग्गसंवरे दसविधे अंसंवरे पन्नता तं जहा-सोतिंदियअसंवरे जाव सूचीकु- सगअसंवरे ७०९।-709 (८९५) दसहि ठाणेहिं अहमंतीति धमिजा तं जहा-जातिपएण वा कुलमएण वा For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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