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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૨૬ टाणं • ७-६८२ रघाणियाधिपती महारिढे नट्टाणियाधिपती गीतजसे गंधब्याणियाधिपती घरणस्स णं नाग कुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाधिपती पत्नत्ता तं जहा पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए भद्दसेणे पायत्ताणियाधिपती जाव आणंदे रघाणियाधिपती नंदणे नट्टामियाधिपती तेतली गंधव्याणियाधिपती भूताणंदस्स गं नागकुमारिंदस्स नागकुमारण्णो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पन्नता तं जहा-पावत्ताणिए जाब गंधव्याणिए दक्खे पायत्ताणियाहियती जाव नंदुत्तरे रहाणियाहिवइ रती नट्टाणियाहिवई माणसे गंधव्याणियाहिवई राजधा धरणस्स तथा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव धोसस्स जधा भूताणंदस्स तथा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाधोसस्स, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरपणो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवती पन्नत्ता तं जहा-पायत्ताणिए जाव रहाणिए नट्टाणिए गंधव्याणिए हरिणेगमेसी पायत्ताणियाधिपती जाव माढरे रधाणियाधिपती सेते नट्टाणियाहिवती तुंबुरु गंधवा- णियाधिपती ईसास्स णं देविंदस्स देवरण्णो सत्त अणिया सत्त अणिवाहिवई पन्नत्ता तं जहा-पावत्ताणिए जाव गंधव्याणिए लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवती जाव महासेते नट्टाणियाहिवती रते गंधव्वाणिताधिपती [जधा सककस्स तहा सव्येसिं दाहिजिल्लाणं जाव आरणस्स जधा ईसाणस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव अचुतस्स] 1५८२|-582 (१८३) चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाधिपत्तिस्स सत्त कच्छाओ पन्नत्ताओ तं जहा-पढमा कच्छा जाव सतमा कच्छा चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाधिपतिस्स पढपाए कच्छाए चउसट्ठि देवसहस्सा पन्नत्ता जावतिया पढमा कच्छा तब्विगुणा दोच्चा कच्छा जावितिया दोच्चा कच्छा तब्विगुणा तच्चा कच्छा एवं जाव जावतिया छट्ठा कच्छा तब्विगुणा सत्तमा कच्छा एवं बलिस्सवि नवरं महहुमे सट्टिदैवसाहस्सिओ सेसं तं चेव धरणस्स एवं चैव नवरं-अट्ठावीसं देवसहस्सा सेसं ते चेव जधा धरणस्स एवं जाव महाधोसस्स नवरं-पायत्ताणियाधिपती अण्णे ते पुव्वणिता सक्क. स ण देविंदस्स देवरपणो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छाओ पत्नत्ताओ तं जहा-पढमा कच्छा एवं जहा चमरस्स तहा जाव अचुतस्स नाणत्तं पायत्ताणियाधिपतीणं ते पुवमणिता देवपरिमाणं इम-सक्कस्स चउरासीति देवसहस्सा जाब जावतिया छट्ठा कच्छा तब्विगुणा सत्तमा कच्छा देवा इमाए गाथाए अणुगंतव्वा ।५८३1-583 (६८४) चउरासीति असीति बावत्तरी सतरी य सट्ठी य पन्ना चत्तालीसा तीसा वीसा य दससहस्सा ॥८३।।-1 (६८५) सत्तविहे वयणविकप्पे पण्णत्ते तं जहा-आलावे अणालावे उल्लावे अणुल्लावे संलावे पलावे विप्पलावे ।५८४।। (६८६) सत्तविहे विनए पण्णत्ते तं जहा नाणविनए दंसणविनए चरित्तविनए मणविनए वइविनए कायविनए लोगोक्यारविनए, पसत्यमणविनए सत्तविधे पण्णत्ते तं जहाअपावए असावज्जे अकिरिए निरुवक से अणण्हयकरे अच्छविकरे अभूताभिसंकणे, अपसत्थमणविनए सत्तविधे पन्नत्ते तं जहा-पावए सावले सकिरिए सउवक्के से अण्हयकरे छविकरे भूताभिसंकणे, पसत्थवइविनए सत्तविधे पण्णते तं जहा-अपावए असावजे [अकिरिए निरुवक्के से अणण्हयकरे अच्छविकरे] अभूताभिसंकणे अपसत्यवइविणए सत्तविधे For Private And Personal Use Only
SR No.009729
Book TitleAgam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages170
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size3 MB
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