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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपारो - १/९/१/२८६ (२८६) सिसिरंसि अद्धपडियने तं योसन बत्थमणगारे पसारित वाहं परक्कमे नो अवलंबियाण कंधति ॥६३||-22 (२८७) एस विही अणुकंतो माहणेण मईपया अपडिपणेण धीरेण कासवेण पहेसिणा -त्ति देमि ।।६४||-23 • यो अपणे पटपो उद्देसो सपत्तो . -: बी ओ – उद्दे सो :(२८८) चरियासणाई सेजाओ एगतियाओ जाओ वुइयाओ आइक्ख ताई सयणासणाई जाइं सेवित्या से महावीरो ||६५||-1 (२८९) आवेसण - समा-पवासु पणियसालासु एगदा वासो अदुवा पलियबागेसु पलालपुंजेसु एगदा वासो ॥६६॥-2 (२९०) आगंतारे आरामागारे गामे नगरेवि एगदा वासो सुसाणे सुण्णगारे वास रुस्खमूले वि एगदा चासो ॥६७॥-3 (२९१) एतेहिं मुणी सयणेहिं समणो आसी पतेरस वासे राई दिवं पि जयमाणे अप्पसत्ते समाहिए झाति ॥६८11-4 (२९२) निदं पि नो पगामाए सेवइ भगवं उट्ठाए जग्गावती य अप्पाणं ईसिं साई या सी अपडिण्णणे ॥६९||-5 (२९३) संयुज्झमाणे पुणरवि आसिंसु भगवं उठाए निस्खम्म एगवा राओ वहिं चंकमिया मुहुत्तागं ।।७०1-6 (२९४) सयणेहिं तस्सुलवसमा भीमा आसी अणेगरुवा य संसप्पगाय जे पाणा अदुवा जे पक्खिणो उवचांति ||७१11-7 (२९५) अदु कुचरा उवचरंति गायरक्खा य सत्तिहत्या य अदु गामिया उवसा इत्यी एगतिया पुरिसा य (२९६) इहलोइयाई परलोइयाइं भीमाई अणेगरुवाई अवि सुमि-दुन्भि-गंधाई सद्दाई अणेगरुवाई ॥७३||-9 (२९७) अहियासए सया समिए फासाई विरुषरुवाई अरइं रई अभिभूय रीयई पाहणे अबहुवाई (२९८) स जणेहिं तत्थ पुच्छिसु एगचरा वि एगदा राओ अव्वाहिए कसाइत्या पेहमाणे समाहि अपडिपणे ॥७५||-11 (२९९) अयमंतरंसि को एत्य अहमप्ति त्ति भिक्टी आहट्ट अवमुत्तमे से धम्मे तुसिणीए स कसाइए झाति (३००) जंसिप्पेगे पवेयंति सिसिरे मारुए पवायंते तंसिप्पेगे अणगारा हिवाए नियायमेरांति (३०१) संघाडिओ पबिसिस्सामो एहा प सपादहमाणा पिहिया वा सवखामो अतिदुक्खं हिमग-संफासा ७८11-14 ||७२/1-8 ७४||-10 |७-12 ७७11-19 For Private And Personal Use Only
SR No.009727
Book TitleAgam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 01, & agam_acharang
File Size3 MB
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