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________________ 168 श्री आवकाचार जी देख रहा हूँ - संसार का स्वरूप प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है --- • सब छूट गया - जिनको अपना मानते थे वही इस शरीर की यह दुर्दशा कर रहे हैं. - चारों तरफ से आग जल रही है, लपटें निकल रही है --शरीर जल रहा हैचैतन्य इन सबसे भिन्न हूँ- - कर्मावरण कार्माण तैजस शरीर अभी साथ लगा है - मैं शुद्ध ---- गया➖➖➖➖ - - ओ हो हो -यही मुझे संसार में रुलाने वाले हैं। • जन्म-मरण के कारण यही हैं - शरीर जल गया - घर परिवार धन वैभव संयोग सब छूट अब इस कर्मावरण कार्माण तैजस शरीर को भी जलाना है। ध्यानाग्नि लगाना है। सावधान, सावधान - देखो वह अपना सिद्ध स्वरूप - शुद्धं प्रकाशं शुद्धात्म तत्वं • बस अब इसी ध्रुव तत्व ममल स्वभाव में लीन होना है • इसी से यह कर्मावरण कार्माण तैजस शरीर जलेगा सावधान - सिद्धोहं - सिद्धोहं- - ज्ञान स्वरूपोऽहं - ध्यानाग्नि - चारों तरफ से लपटें उठ रही हैं. - हैं हैं हैं --- मैं अपने --- ---- ---- प्रज्वलित हो गई ज्ञानानंद स्वभाव में लीन हूँ - कर्मावरण जल रहा है ज्ञानावरण दर्शनावरण -मोहनीय अन्तराय - चारों • सब जलते जा रहे हैं तरफ प्रकाश ही प्रकाश हो रहा है. • बिल्कुल शुभ्र स्वच्छ अर्क- - सुअर्क - -- सुअर्क - प्रकाश ही प्रकाश - सारे कर्म समूह जले जा रहे हैं---- नाम---- - आयु• गोत्र-- • वेदनीय -- सब जल गये चैतन्य ज्योति ज्ञान पिंड -शुद्धं प्रकाशं शुद्धात्म तत्वं अपने स्वरूप में लीन - जय हो जय हो अग्नि शांत होती जा रही है। और कुछ नहीं है -- मैं ➖➖➖➖ • परमानंदमय -- - चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश फैला है. ---- • - -- कोई नहीं है - --- - कर्मावरण की राख चारों तरफ बिखरी पड़ी है. -वायु चल रही है सांय - सांय सांय - तेज वायु • सारी राख उड़ती जा रही है, -- ➖➖➖➖ -- में ---- परम उड़ती जा रही है - - सब कर्म कालिमा साफ हो रही है. • राख उड़ गई - शेष - बादल गरजने लगे. -मूसलाधार वर्षा हो रही है। सारी कालिमाबची हुई राख सब पानी बह गई, कालिमा धुलकर स्वच्छ हो गई जय हो जय हो - पूर्ण शुद्ध - - मुक्त परमज्योति जय-जय परमानंद जय जय जय जय आत्मानं - परमात्मानं - जय जय विंदस्थाने ज्योति प्रकाश पुंज --- --- सिद्ध स्वरूप चिदानंद जिन आत्मानं ➖➖➖➖ - जय जय सोहम् रूप - समय शुद्धं - नमस्कृतं - ➖➖➖➖ -- ——— --- --- ➖➖➖➖ ---- ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ ——— ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ |➖➖➖➖ ---- ---- ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ ---- ---- --- ---- ---- ---- -- ---- ——— ---- ---- -- ➖➖➖➖ ---- --- ---- ---- ——— ---- ---- ---- ---- --- ---- ---- ---- ---- ---- - --- ---- ---- ---- ——— SYO AYAT YANA YA ARA YEAR. 5 १२० गाथा १८५.१८७ - नमस्कृतं महावीरं ➖➖➖➖ -बस ——— धारणा है --मात्र ज्ञान पिंड - जय हो विंदस्थाने नमस्कृतं बस अब इसी सिद्ध दशा-शुद्ध स्वरूप में लीन रहना है - - यही तत्व रूपवती • सच्चिदानंद घन परम ब्रह्म परमात्म स्वरूप - ॐ नमः सिद्धं जय हो ॐ नमः सिद्धं - ॐ शान्ति ॐ नमः सिद्धं - - ॐ शान्ति - ॐ शान्ति सद्गुरुदेव तारण स्वामी की जय. स्वस्थ होकर बैठ जाईये मंत्र जप कीजिये - अभी आँखें नहीं खोलना, दो मिनिट बिल्कुल मौन शांत ---- अब आँखें खोलिये - बोलो रहिये । यह पिंडस्थ ध्यान की विधि का प्रयोग है, जो सहज दशा में सभी जीव कर सकते हैं, इसके साधना अभ्यास करने से भेदज्ञान और निज शुद्धात्मानुभूति होती है, आर्त रौद्र ध्यान का परिहार होता है, शुभाशुभ भाव भी नहीं होते, वैराग्य का जागरण होता है, चित्त में समता शांति रहती है, पर के विकल्प भी छूट जाते हैं । आगे रूपस्थ ध्यान का वर्णन करते हैं --- --- --- -- ---- ---- ---- ➖➖➖➖ ---- ➖➖➖➖ --- ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ ➖➖➖➖ ---- -- ➖➖➖➖ जय ---- रूपस्तं सर्व चिद्रूपं, आर्ध ऊर्ध च मध्ययं । सुद्ध तत्व स्थिरी भूतं, ह्रींकारेन जोइतं ।। १८५ ।। चिद्रूपं सर्व चिदुपं, धर्म ध्यानं च निश्चयं । मिथ्यात राग मुक्तं च ममलं निर्मलं धुवं ।। १८६ ।। रूपस्तं अहंत रूपेन, ह्रींकारेन दिस्टते । उकारस्य ऊर्धस्य अर्थ सु ।। १८७ ।। " अन्वयार्थ - (रूपस्तं सर्व चिद्रूपं ) चित्स्वरूप चैतन्य तत्व का ध्यान करना, स्वरूप में स्थित होना रूपस्थ ध्यान है (आर्ध ऊर्धं च मध्ययं) जो अधो ऊर्ध्व और मध्य में त्रिलोक में व्याप्त है (सुद्ध तत्व स्थिरी भूतं) ऐसे अपने शुद्ध तत्व में ठहरकर (ह्रींकारेन जोइतं ) तीर्थंकर सर्वज्ञ स्वरूप को देखना । (चिद्रूपं सर्व चिद्रूपं ) चित्स्वरूप सर्व चित्स्वरूप है ( धर्म ध्यानं च निश्चयं) यही निश्चय धर्म ध्यान है (मिथ्यात राग मुक्तं च ) जो मिथ्यात्व और रागादि से मुक्त है (ममलं निर्मलं धुवं) अमल है निर्मल है ध्रुव है । (रूपस्तं अर्हत रूपेन) रूपस्थ ध्यान अरिहन्त के स्वरूप का ( ह्रींकारेन
SR No.009722
Book TitleShravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanand Swami
PublisherGokulchand Taran Sahitya Prakashan Jabalpur
Publication Year
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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