SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७७ श्री तारण तरण ब्रहदू मंदिर विधि-धर्मोपदेश तत्त्व मंगल देव को नमस्कार तत्त्वं च नन्द आनन्द मउ , चेयननन्द सहाउ | परम तत्त्व पद विंद पउ, नमियो सिद्ध सुभाउ | गुरू को नमस्कार गुरु उवएसिउ गुपित रुइ, गुपित न्यान सहकार | तारन तरन समर्थ मुनि, गुरु संसार निवार || धर्म को नमस्कार धम्मु जु उत्तउ जिनवरह, अर्थ तिअर्थह जोउ । भय विनासु भवु जु मुनहु, ममल न्यान परलोउ ।। (देव को, गुरु को, धर्म को नमस्कार हो) : दोहा : ॐकार से सब भये, डार पत्र फल फूल । प्रथम ताहि को वंदिये, यही सबन को मूल || : श्लोक: ॐकारं विन्दु संयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव, ॐकाराय नमो नमः ॥ : चौपाई : ॐकार सब अक्षर सारा,पंच परमेष्ठी तीर्थ अपारा । ॐकार ध्यावे त्रैलोका, ब्रह्मा विष्णु महेसुर लोका ॥ ॐकार ध्वनि अगम अपारा, बावन अक्षर गर्भित सारा । चारों वेद शक्ति है जाकी, ताकी महिमा जगत प्रकाशी ॥ ॐकार घट घट परवेसा, ध्यावत ब्रह्मा विष्णु महेशा । नमस्कार ताको नित कीजे, निर्मल होय परम रस पीजे ||
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy