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________________ आसादन दोष (जो चैत्यालय में नहीं करना चाहिये) दीवाल से टिककर बैठना नहीं । → वेदी की तरफ पीठ करना नहीं । एक हाथ से आरती करना नहीं । एक हाथ से जिनवाणी उठाना नहीं । एक हाथ से प्रसाद लेना नहीं । पैर पर पैर चढ़ाकर बैठना नहीं । → अंगुलियाँ चटकाना नहीं । नाखून काटना नहीं । → शरीर का मैल घिसकर छुड़ाना नहीं । | स्वाध्याय आदि करते समय हाथ से अपने पैर को स्पर्श कराना नहीं । → मोजे पहनकर चैत्यालय आना नहीं । → चैत्यालय में किसी के पैर पड़ना नहीं । अंगुली से जीभ को स्पर्श कराकर ग्रंथ के पन्ना पलटना नहीं । जिनवाणी या प्रवचनकर्ता से ऊँचे आसन पर बैठना नहीं । • पैर फैलाकर बैठना नहीं । स्वाध्याय करते समय ग्रंथ के पेज मोड़ना नहीं । → चैत्यालय में दूसरों को बाधा पहुँचे इतने जोर-जोर से पढ़ना या बोलना नहीं । → चैत्यालय में राग-द्वेष और कषाय पूर्ण कार्य करना नहीं । → तत्व चर्चा के अलावा व्यर्थ चर्चा करना नहीं । प्रवचन के समय व्यक्तिगत स्वाध्याय जाप करना नहीं । | प्रवचन के समय बच्चों को शोरगुल करने के लिये छोड़ना नहीं । प्रवचन के समय घंटा बजाना नहीं । ४७
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
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