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________________ १३७ प्रश्न - आरती कैसे बनाई जाती है? उत्तर - रुई को भांजकर लम्बी बत्ती बनाकर आरती में नहीं रखना चाहिये । बल्कि गोल फूलबत्ती बनाकर आरती तैयार करना चाहिये। आरती में घी भी उतना ही डालना चाहिये जितने समय में आरती हो सके। आरती अनावश्यक जलती रहे इतना घी नहीं डालना चाहिये। प्रश्न - आटे की आरती क्यों बनाई जाती है? उत्तर - १.आटाशुद्ध माना जाता है। उसकी आरती बनाकर ज्योति जलाई जाती है। उसका अभिप्राय यह है कि जहाँ शुद्धता होती है वहीं ज्ञान की ज्योति प्रज्जवलित होती है। २. आटे में पुनः - पुनः खेतों में उत्पन्न होने की शक्ति समाप्त हो जाती है, उसकी आरती बनाई जाती है। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीव संसार में जन्म-मरण नहीं करना चाहता उसी जीव के अंतरंग में ज्ञान की ज्योति प्रगट होती है। प्रश्न - एक चेल और पाँच चेल की आरती क्यों बनाई जाती है? उत्तर - श्री गुरु तारण स्वामी जी महाराज के ग्रंथों में दीप्ति शब्द का बहुलता से प्रयोग मिलता है। दिप्ति का अर्थ होता है ज्ञान से प्रकाशित ज्योति। सम्यग्ज्ञान के पाँच भेद हैं - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यय ज्ञान और केवलज्ञान, इन्हें श्री गुरु महाराज ने पंच दीप्ति कहा है। सम्यग्ज्ञान के इन पाँच भेदों की प्रतीक रूप पाँच चेल की आरती और मात्र केवलज्ञान की प्रतीक रुपएक चेल की आरती बनाई जाती है। यह ज्ञान से प्रकाशित दिव्य ज्योति की प्रतीक होती है। प्रश्न - वाणी जी के वांचन के समय आरती लेकर खड़े क्यों होते हैं? उत्तर - श्रीवाणी जी का प्रारम्भ यहाँ से होता है - श्री धर्मोपदेश अतुल अनिर्वचनीय और महादीर्घ कहें केवली पुरुष कहने प्रमाण सामर्थ्य...............|इसका आशय है कि यह धर्मोपदेश केवलज्ञानी भगवान की वाणी है, इसलिये इसको वाणी जी कहते हैं। श्री केवलज्ञानी भगवान द्वारा कही गई है इस पवित्र अभिप्राय से केवलज्ञान के प्रतीक रूप में एक चेल की आरती लेकर खड़े होते हैं। प्रश्न - आरती और आरतो में क्या अंतर है ? उत्तर - १. आरती भक्ति पूर्वक की जाती है। आरतो विशेष बहुमान पूर्वक किये जाते हैं। २. आरती एक चेल अथवा पाँच चेल की चाँदी, स्टील, पीतल या आटे की भी बनाई जाती है, किंतु आरतो केवल आटे के पंच चेल वाले ही कहलाते हैं। ३. आरती पढ़ने की लय सहज सरल होती है। आरतो विशेष लय में पढ़े जाते हैं। प्रश्न - आरती लेकर नृत्य क्यों किया जाता है ? उत्तर - सच्चे देव और गुरु के गुणानुराग,धर्म के श्रद्धान और जिनवाणी के प्रति बहुमान का भाव अंतर में उमड़ता है। यह भक्ति भाव जिन वचनों की महिमा करने के लिये नृत्य के रूप में व्यक्त होता है। यह भक्ति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है इसलिये जिनवाणी के सामने आरती लेकर नृत्य करते हैं। प्रश्न - आरती करने में क्या सावधानियाँ रखना चाहिये? उत्तर - आरती करने में निम्नलिखित सावधानियाँ अनिवार्य रूप से रखना चाहिये १. आरती विनय और भक्ति पूर्वक करना चाहिये।
SR No.009719
Book TitleMandir Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasant Bramhachari
PublisherAkhil Bharatiya Taran Taran Jain Samaj
Publication Year
Total Pages147
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size1 MB
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