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________________ श्री नाममाला जी महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन विंदश्री, तस्य उत्पन्न पांच पदम रंज पुनपारू ३३५, साहरंज श्रीचंद ३९६, ममलरंज मलदास १७७४, जिनरंज धनपारू ४६४, सुईरमन ५८४ । सुवनी तीन सहजश्री, विमलश्री, अतुल श्री अपूर्व अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन आनंदश्री, तस्य उत्पन्न पांच - जयरमन भारती २४७६, पदमरंज पूरन ७१०, निलयरंज, श्री धारन (धारू), सुवनकुंवार मिलनु । सुवनी तीन जयरमन श्री, धुवरमनश्री, सुवरमनश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन समयश्री, तस्य उत्पन्न - अभयरंज ७१४, तप सिरी तिभुवा । सुवनी दो ममल सिरी, जयजिनय सिरी । साहकुंवार मलु ३९६, सुवनकुमार ठाकुर ७४ बामौरी, सहज रमन प्रदेस १११ - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - महा उत्पन्न न्यान श्री अर्जिका पट तारन तरन हिय उवनश्री, तस्य उत्पन्न पांच कनकरंज कामदेउ, जयरमनरंज जैनश्री, ममलरंज माड़न, उत्पन्न रंज प्रदेस, सहज सरूव प्रदेस सुवनी तीन नंदश्री, व्रितश्री, निलयश्रीअन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - - महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन अलषश्री, तस्य उत्पन्न पाँच - उदयन उददु, सीलरंज सेठिस, पयरमन रंज प्रदेस, सयनरंज सौसार चंद, निलयरंज प्रदेस । सुवनी तीन मयन सिरी, पदम सिरी, सिरी । भुवन अलष सिरी की बहिनें पांच सर्वार्थ सिरी, साह सिरी, तिलक सिरी, सुवन सिरी, रमन सिरी । तिलक सिरी के उत्पन्न सात - त्रैकुंवार उदउ, सेउकुंवार सरौतु, धनकुंवार प्रदेस, दिप्तिरंज, सुवनी तीन कनक सिरी, जयरमन सिरी, - ४५५ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी - - साह सिरी । साह सिरी तस्य उत्पन्न पांच उभैरंज उदई, अमियरंज ठाकुर सिरी, निरतरंज पयने, मयनरंज माना, सेवकुंवार प्रदेस । सुवनी तीन सयन सिरी, गमन सिरी, ज्ञान सिरी । सुवनी तीन दिप्ति सिरी, सुवन सिरी, साह सिरी । सुवन सिरी तस्य उत्पन्न पांच ममलरंज मुनिदास, मनराज ध्यानी, पियकुंवार पंचान, गमनरंज ज्ञानचंद, साहरंज प्रदेसी । सर्वश्री तस्य उत्पन्न चार- हरश्रेणि हरपति, निलैरंज फूल, साहिकुंवार सहस, अभैरंज प्रदेसी। सुवनी तीन दिप्तिश्री, दर्सश्री, समयश्री । गमनश्री के उत्पन्न पांच दिप्तकुंवार अजित, नृतकुंवार पदमश्री, सिवकुंवार वैदश्री, सिवकुंवार मदनश्री, साहकुंवार प्रदेसी। सुवनी तीन नंदश्री, निलयश्री, भुवनश्री - अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - - महा उत्पन्न न्यानश्री अर्जिका पट तारन तरन अगमश्री, तस्य उत्पन्न चार ईसकुंवार प्रदेसी, लीनकुंवार प्रदेसी, पैपाल रंज कामराज, साहकुंवार साहिब रतनागरी । सुवनी दो रंजश्री, विनयश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - - - अगमश्री की बहिन सतसई अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । दर्सश्री, अभयश्री, सुवनश्री, सुहश्री, साहश्री एवं पांच तस्य उत्पन्न - हर्षरंज प्रदेस, हिययार रंज प्रदेस, रिसि कुंवार रतनश्री, परिस कुंवार ज्ञानचन्द, सेउकुंवार साते। सुवनी दो कल्पश्री, अल्पश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्तिगामिनो । सुवनश्री, तस्य उत्पन्न पांच रैनकुंवार सौराजु १११, रंजकुंवार प्योराजु ५८७, वयकुंवार धनु ७११, साहकुंवार ६४, दिप्तिकुंवार प्रदेसी । सुवनी तीन रंजकुंवारी, मलयश्री प्रदेश, ममलश्री अन्मोय जिन श्रेणि कलन मुक्ति गामिनो । - - - -
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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