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________________ श्री छद्मस्थवाणी जी उत्पन्न हुंतकार चौबीस (२४) ।। २७ ।। दयालप्रसाद अनंत अवगाहन प्रिय सुभाव उत्पन्न प्रवेस ।। २८ । उत्पन्न समै सुयमेव अदिस्ट दिस्य ।। २९ ।। इन्द्र धरनेन्द्र गन्धर्व जप्य राक्षस भूत पिसाच गुह्यक उत्पन्न अनंत ॥ ३० ॥ अनंत उत्पन्न समै महो आये, छत्र तीनि सुयमेव उत्पन्न हुई आये || ३१ ॥ दुंदुही सब्द ऐरापति संजुक्त साढ़े बारह कोडि बाजे बाजहिं सहित ।। ३२ ।। छत्र, चंवर, सिंहासन, नौ निधि, चौदह रयन, मणि माणिक, हीरा पदार्थ जड़ित आरते अनंत उत्पन्न महोछै आये, महोछौ कियो । ३३ ।। बेसक प्रमान कै दियो, बेसक उत्पन्न प्रवेस छत्र सेत उज्वल उत्पन्नी के माथे दियौ ।। ३४ ।। छत्र एक कमलावती के माथे दियौ ।। ३५ ।। छत्र एक रुइया जिन के माथे दियौ ।। ३६ । छत्र धारि भक्तावती, छत्र धारि सुवनावती, छत्र धारि रमनावती ।। ३७ ।। चंवर ढार अगम जिन, चंवर ढार रमन श्रेनि, चंवर द्वार विगस रंज ।। ३८ ।। जो मैं थापो सो प्रमान, आजु बड़े बड़े कहां पाऊं, मोरे बड़े आजु ए ही हैं, जो महोछौ मोरो करति हैं, सो महोछौ मोरो अस्थाप को करहु ।। ३९ ।। ४४७ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जो जैसे प्रचै उत्पन्न सुभाव प्रचै प्रवेस उत्पन्न महोछौ अनंत अन्मोद ॥ ४० ॥ प्रचै प्रवेस न पर चिंत किये, मुक्ति प्रवेस ॥। ४१ ।। ५५३३१९ बहुत को पूछे, मैं तो कमलावती रुइया जिन को तसलीम किया, हौं तुमहु कों पूंछ हों, जो तुम कियो सो मैं प्रमान के मानिऊं ॥। ४२ ।। पांच लक्ष्य त्रेपन सहस्र तीन से उनईस को तो तुम्हारो दाउन पकड़ी ।। ४३ ।। त्रिलोक मंडन उत्पन्न सुभाव पय पूजा उत्पन्न रमन चतुस्टय (४) ॥ ४४ ॥ त्रैलोक्यनाथ अनंत प्रवेसी हृिदये अरहंत सुभाव ।। ४५ ।। हृदय आभरन, हृदय अस्थापन ।। ४६ ।। हृदय तिलक उत्पन्न ।। ४७ ।। अंकुर आयरन आराधि आलाप लोक अवलोक असह साह उत्पन्न उत्पन्न उत्पन्न ॥ ४८ ॥ असह साह उत्पन्न उवएस प्रवेस ।। ४९ ।। दो सौ सोलह (२१६) सुभाउ, रयन तीनि (३), बहतरि ।। ५० ।। गम्य, अगम्य, अथाह, अलहु, अगहु, अभय भय रहित सहज सुकीय सुभाव उत्पन्न ।। ५१ ।। बालाग्र कोडि मितं ।। ५२ ।। सुल्प सुन्न अल्प सुन्न, प्रवर्तना प्रवेस सुल्प सुन्न उत्पन्न ।। ५३ ।। अनंतानंत, अनंतानंत, अनंतानंत, अनंतानंत अनंत उत्पन्न प्रवेस साह तं दिप्ति सुन्न सहाऊ बंधान विलयं जांति ।। ५४ ।। तदि पूजा आयरन सुन्न सहाऊ ।। ५५ ।।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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