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________________ श्री छद्मस्थवाणी जी असह साह अवलबली महोछौ ।। ५७ ।। आसन, सिंहासन, अनंत ध्रुव, जय धुव जय महोछौ लै उत्पन्न ॥ जयवंत पाँचइ सीपी अतवार उत्पन्न जै जै जै ॥ ॥ इति षष्ठोऽधिकारः ॥ सप्तम अधिकार सो सो सोहं तूं सो तूं सो तूं सो ॥ १ ॥ हों सो हों सो तूं सो सो तूं सोहं सोहं हंसो ।। २ ।। सोहं हंसो सोहं सो तूं सोहं ॥ ३ ॥ ५८ ॥ ५९ ॥ हुंजे तूंजे, तूंजे हुंजे, तूंजै सुभाइ सुभाइ मुक्ति विलसाइ ॥ ४ ॥ ५ ॥ नाम धरे मेरो का हो जाइ, सुभाइ सुयं ध्रुव मुक्ति विलसाड़ ॥ नाम धरे मेरो का हो जाइ, सुभाइ सुयं तं ध्रुव विलसाड़ ।। ६ । दिठारौ सुयं विली हुइ जाइ ॥ ७ ॥ सुभाइ सुयं ध्रुव जिन विलसाइ, नाम धरे मेरो कहा जाइ रयन सुभाव ॥ ८ ॥ पुंज जय हितकार ११ ।। ९ ।। कमल लीजहिं झुलपटे वारापार उत्पन्न प्रवेस ।। १० ।। कमल प्रगट उत्पन्न प्रवेस उत्पन्न उत्पन्न अंकुर चारि (४) दिषाये ॥ ११ ॥ कोड अनंत प्रवेस प्रवेसिऊ ।। १२ ।। सुभाव अनंत अर्क अर्केड उत्पन्न कोड अवगाहन ।। १३ ।। कलनावती जैवंत होड़, आरते लै आये आचरन परम इस्ट है ।। १४ ।। उत्पन्न पंच परमिस्टि, सो प्रसाद लेहु हमारो उवएस जो है ।। १५ ।। ४४५ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी बारह सुदेव उपजहिं ।। १६ ।। तीन अरु तीन छह (६), ऐसे कोमल परिनाम जे कलस आवहिं, एक दोइ हुंकार उत्पन्न एक ।। १७ ।। उत्पन्न रमन चतुस्टै चारि (४) ।। १८ ।। उत्पन्न दर्स, उत्पन्न न्यान, उत्पन्न चारित्र उत्पन्न प्रवेस प्रवेस्यो ॥ १९ ॥ अनंत विंद अनंत सुन्न समै बाउरि अर्क रमन सुभाव ॥ २० ॥ अनंत अर्क उत्पन्न प्रवेस ।। २१ ।। सुक्रवार, सनिचरु, आदित्यवार, उत्पन्न मिलन सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतीवार रमन चतुस्टै ॥ २२ ॥ उत्पन्न रमन प्रथम प्रवेस ।। २३ ।। पुंज अस्थापन उत्पन्न आयरन ।। २४ ।। उत्पन्न प्रवेस अवगाहन अनंत मिलन बेसक ६ ।। २५ ।। अवगाह अस्थापन, आसन, सिंहासन, पदवी उत्पन्न कोड अनंत प्रवेस ॥ २६ ॥ अनंत अर्क उत्पन्न कोड उत्पन्न विनोद लीला कोड प्रीतम मिलन उत्पन्न प्रवेस बार ३ ।। २७ ।। अवगाहन मिलन चतुस्टय सन्मुष संजोग लब्धि ॥ २८ ॥ अनंत प्रवेस अवगाहन, अव्वावाह अनंत प्रवेस प्रचै मिलन अन्मोद प्रिये ।। २९ ।। परम अवगाह बार तीनि ॥ ३० ॥ तीनि बारि (३), रुइया जिन झटि लेहु, झटि लेहु, छोड़ जिन लेहु हु छोड़हु जिन, लेहु हुंतकार तीन (३) ॥ ३१ ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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