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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री सुन्न सुभाव जी जो बिन सुनै सयानौ होइ, तो गुरु सेवा करै न कोई ॥ ९ ॥ नाम नाम नाम मिलन ॥ १० ॥ नाम बारह - लिलाट सांकड़ो १, दिस्टि सांकड़ो २, सब्द सांकड़ो ३, सहकार सांकड़ो ४, घर सांकड़ो ५, बाहिर सांकड़ो ६, माथो सांकड़ो ७, कान सांकड़ो ८, हाथ सांकड़ो ९, पांव साकड़ो १०, पांवगहि बंध्येही ११, बांध्यौ मारिये सहै भलो १२ ॥ ११ ॥ उक्त भिनष्टि, उक्त भंभीरी, उक्त बहिली ॥ १२ ॥ तर्क पाहुड़ १, औझड़ पाहुड़ २, ठिसर पाहुड़ ३, वर्ग पाहुड ४, बहुल पाहुड़ ५, तमखुर पाहुड६ ॥ १३ ॥ गर्जसिरी १, भटकसिरी २, भहड़सिरी ३, बहुनाथसिरी ४, गनगचसिरी ५ ॥ १४ ॥ विकथा चार - स्त्री कथा १, भुक्त कथा २, चोर कथा ३, राज कथा ४ ॥ १५ ॥ हिंसानंदी १, अनृतानंदी २, स्तेयानंदी ३, अबंभानंदी ४ ॥ १६ ॥ सहकार १, चिकार २, उकार ३, मकार ४, तर्क५, जर्क ६, मर्क ७, नर्क ८, गचकुटा ९, वचकुटा १०, सनकुटा ११, नाम नाम नाम समल १२, नाम बारह ॥ १७ ॥ एक उक्त सुभाव, एक मुक्त सुभाव, मुक्ति प्रवेस उत्पन्न केवली उक्ति तीन ॥ १८ ॥ दल पड़हिं एक उक्त आवर्न, एक उक्त भिनष्टि, एक उक्त बहिली, एक उक्त भंभीरी ४ ॥ १९ ॥ परै गुनै मूढ़ न रहै ॥ २० ॥ तीन पात्र, दान चार, परिष्य एक, दिठारौ सुभाव, औकास न्यान की परिष्या ॥ २१ ॥ कलदिस्टि, सर्वदिस्टि, पापदिस्टि, पढ़ो सुवा विलाइ लियो । २२ ।। पयोगहीन जान विली, चरइ पियइ नहिन करइ, चरड़ पियइ उठि चलै, चरइ पियइ पूंछ डुलावइ, चरइ पियइ दिस्टि डुगडुगावइ, चरइ पियइ पड़ि रहइ, चरइ पियइ चौक बांधे, संहार दिस्टि, दर्प दिस्टि, पाषंड दिस्टि, चरइ पियइ घर आवड़, सींग सों नातो पूंछ सों बैर, पयोग हीन आचरो करइ ॥ २३ ॥ अन्तराय पांच-दान १, लाभ २, भोग३, उपभोग४, वीर्ज ५ ॥ २४ ॥ अनंत न्यान मोरें सो तोरें, तोरें सो मोरें ॥ २५ ॥ चोर कर्म, बंधोर कर्म, अन्मोद कर्म, जहां तहां सहकार अन्मोदहि अन्मोद कर्म ॥ २६ ॥ कुमति, कुश्रुति, कुअवधि ॥ २७ ॥ माया, मिथ्या, निदान ॥ २८ ॥ चतुरंग संन्या जयन कमल ॥ २९ ॥ पंच गन सु प्रगट राजू ॥ ३० ॥ गहिर गुप्ति २ ॥ ३१ ॥ मुक्ति प्रमान सो पात्र सासुतं ॥ ३२ ॥ ॥ इति श्री सुन्न सुभाव नाम ग्रंथ जी...॥ ॥ आचार्य श्रीमद् जिन तारण तरण मंडलाचार्य विरचितं सम उत्पन्निता ।। ७ (४३४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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