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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी (१४८) जिजय लड़ी फूलबा गाथा ३०२८ से ३०३१ तक (विषय ! कमल चतुर्दशी) ऐ मेरी जिनय लड़ी, जिन सों आरि करै, धुव रमन रलै, रलि चेयन पै भावै । ऐ धुव ढलन ढली, सुइ उवन मगै, ऐवलि सुवन चलै, ऐ दुति ताग संजोये ॥ ऐ तू ममल सु रे, सुयं दरसिय रे, ऐ विन्यानीय रे, जिन जिनवर चेला । सुइ जिनह जिनवर जिनह दरसिउ, ममल रमन रलि आउलौ ॥ सुइ जिनह जयनी, कमल कलनी, आयरन दिप्ति सुइ मुक्ति लौ ॥ १ ॥ ऐ मेरी जिनय लड़ी, जिन सों आरि करै, धुव रमन रलै, रलि चेयन पै भावै ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ अबहु मिलहु सुरी सम सम लड़िया, धुव रम लड़िया धुव रमनह मिलिजै । उव रमन चेला थाल निहि रिहि, पिय पिय दर्सिय मुक्ति लौ ॥ जय सुवन उवनह उवन उव निहि, सम समय मुक्ति सु सोहियौ । परवान उवनह उवन मिलियौ, सम समय मुक्ति सु मोहियौ ॥ ३ ॥ ॥ऐ मेरी.॥ ऐ चर चरन चरिया धुव रम लड़िया, जिन कलि लड़िया जिन जिनवर पैभावै । सुइ श्रेनि कलनह कलन पिय निहि, जिन श्रेनि कलन सुइ मुक्ति पौ ॥ जिन जिनय श्रेनि सु जिनय जिनवर, तर तार समय सुइ मुक्ति लौ । तर तार उवन सु कमल कलियौ, सम समय तार सु मुक्ति पौ ॥ ४ ॥ ॥ऐ मेरी.॥ (१४९) वर उवन लड़ी फूलना गाथा ३०३२ से ३०५१ तक (विषय : कमल दल, नंद पांच) ऐ वर उवन लड़ी, उव उवन सुहाग उवन जिनु पाये । ऐ तेरे वरन सुहाये, सुयं जिन जिनवर उवन मिलाये ॥ १ ॥ ऐ तेरे सुवन सुहाये, अभय जिन अभय मिलाये ।। ऐ तेरे रयन सुहाये, रयन जिन रमन मिलाये ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ (४१४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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