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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सुइ तारन हो जिन कमल सु तार, सह समय उवन जिन मुक्ति अपार ॥ ७ ॥ ॥साधउ.॥ श्री ममल पाहुइ जी जय जय हो जय जयनाली, जय जय जय कमल वियाली । जय जय जय हो कलि कलन पऊ, जय जय जय हो तुम मुक्ति जिनाली ॥ ३ ॥ || साधउ.॥ मय ममल जु हो जिन ममल जिनाली, धर अधर धुवं धुव जिन धरनं । उव उवने हो सुइ नंतानंतु, मै धुवं उवन सुइ मुक्ति वियाली ॥ ४ ॥ ||साधउ.॥ मय ममल ममल जिन जिनवाली, आयरन धुवं धुव उवन पऊ । आराहिय हो धुव नंतानंतु, आलाप रमन जिन मुक्ति वियाली ॥ ५ ॥ ॥साधउ.॥ आराहि उवन हिय सहयाली, आयरन उवन हिय साह सहं । आलाप उवन हिय सहन सह, आलाप जयं जय मुक्ति जिनाली ॥ ६ ॥ ||साधउ.॥ सुइ श्रेनि जु हो जिन श्रेनि जिनाली, सुइकलन कलिय जिन कलन पऊ । (१४७) मिलन रमन फूलना गाथा ३००९ से ३०२७ तक (विषय। कलन चरन रमन महिमा) संजोय विओय विलय सुइ होइ । संजोय विओय विलेई, जिन स्वामी उवन जिन रावै ॥ १ ॥ री सिय साहि उवन जिन रमन रलै, रलि रमन रलै सुइरे । सिय सिद्धि मुक्ति जिन स्वामी भावै ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ विओय संजोय रमन धुव होई, सिय रमन धुवं धुव जोई । धुव रमन सिद्धि जिन स्वामी भावै ॥ ३ ॥ ॥ री. ॥ निर्मल विमल जिनं धुव होई, सुइ ममल सुयं सुइ होई । सिय ममल मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥ ४ ॥ || री.॥ जिन उवन चरन रचरेई, जिन कलन उवन कलेई । कलि कलन मुक्ति जिन स्वामी पावै ॥ ५ ॥ ४१२)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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