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________________ श्री ममल पाहुड़ जी उव उवन कलन कलि कलिय अनंतु, उव कलन कमल धुव सिद्धि संपत्तु । उव उवन कमल चर चरिय सु नंदु चर चरिय कमल उव मुक्ति जिनंदु ॥ उव उवन कमल उव नंत अनंतु, कर्न उव उवन कमल सम सुवन स रिद्धि, उव उवन समय सिद्धि संपत्तु । सुव श्रवन रमन जिन मुक्ति सु सिद्धि ॥ उव श्रवन रमन सुइ सुवन अनंतु, सुइ सुवन हियं जिन उव उवन हियं उव मुक्ति सरत्तु, हुव समय सुवन जिन सिद्धि दिपि दिप्ति उवन सुइ दिप्ति सु नंतु, सिद्धि उव उवन सुवन अवयास जिनंदु, अवयास रमन दिपि मुक्ति अवयास यास दिपि नंत अनंतु, अवयास कमल धुव सिद्धि ३ ॥ ॥ उव. ।। ४ ॥ ।। उव. ।। संपत्तु । संपत्तु ॥ ५ 11 ।। उव. ।। संपत्तु । संपत्तु ॥ ६ ॥ ।। उव. ।। सुइ सुयं उवन दिपि मुक्ति स रत्तु । ३९८ दिपि सुयं दिप्ति सुइ सुर्क सहाउ, सुइ दिप्ति सुर्क जिन सुइ सुर्क उवन जिन अभय स नंदु सुइ अभय सुर्क जिन नंत अनंतु, जय सुर्क कमल धुव श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मुक्ति सुभाउ ॥ सुइ सुर्क अभय भय विलय जिनन्दु । 11 ॥ उव. ।। उव उवन विंद हिय नंद अनंदु, सुइ नंद नंद आनंद आनंद उवन आनंद स उत्तु, उव उव उवन आनंद सुइ विलिय विनंदु, उव उवन कमल धुव सम समय समय सम जिनय स उत्तु, धुव समय रमन हिय सिद्धि संपत्तु ॥ सुई सुर्क उवन सर्वार्थ सु अर्थ, सुर्कार्थ सियं ध्रुव मुक्ति अर्थ धुव समय स बिंदु, उव विंद रमन जिन जिनय जिनंदु ॥ सर्वार्थ ८ ॥ ।। उव. ।। وا सुपंथु । ९ || ॥ उव. ॥ जित्तु । उवन विनंद विलि सिद्धि संपत्तु ॥ १० ॥ ।। उव. ॥ समय जिनंदु | सिद्धि संपत्तु ॥ ११ ॥ ॥ उव. ।।
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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