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________________ श्री ममल पाहुइ जी (१२२) कीतड़ी फूलना गाथा २५४९ से २५५८ तक (विषय : इंछ सोलही) जिन इच्छ जिन इच्छ ति इच्छ चिंतामनि, इंर्ज चिंतामनि जिनय जिना । गुपित जिन गुपित रौ गुपित धुव उवन पौ, गुपित जिन मुक्ति सुइ उवन जिना ॥ १ ॥ स्वामी हो बलि कीतड़ी जिनय जिनाला, रमन दै मुक्ति जिनु रे मझुला उमवारा हो ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ रिस्टि जिन रिस्ट ति रिस्टि चिंतामनि, उवन सुइ रिस्टि सुइ उवन जिना । आयरन सुइ रमन जिनु नंत नंता हिय, नंत जिन जिनयति उवन जिना ॥ ३ ॥ ॥स्वामी हो.॥ उवन जिन उवन पै उवन चिंतामनि, उवन हिय उवन हुव उव उवन जिना । उवन सह उवन सुइ उवन धुव धुवं जिनं, धुव उवन धुव साहि धुव उवन हियं ॥ ४ ॥ ॥स्वामी हो.॥ दिप्ति सुइ दिस्टि सुइ दर्स चिंतामनि, सब्द सुइ उवन पिय न्यान जिना । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी चरन सुइ चरन सुइ उवन चिंतामनि, दिप्ति सुइ सब्द चर उवन जिना ॥ ५ ॥ ॥स्वामी हो.॥ इस्ट इस्टंतु उव इस्ट चिंतामनि, इस्ट उव उवन सुइ इस्ट जयं । उव इस्ट इस्टंतु सुइ उवन चिंतामनि, उव उवन इस्टंतु सुइ जिनय जिना ॥ ६ ॥ ॥स्वामी हो.॥ ऊर्द्ध सुइ ऊर्द्ध सुइ ऊर्द्ध चिंतामनि, __ मध्य षट् रमन जिन रमन जिना । अर्द्ध अर्द्ध सह उवन चिंतामनि, ऊर्द्ध सुइ अर्द्ध महि रमन जिना ॥ ७ ॥ ॥स्वामी हो.॥ उवन ठिदि मुक्ति ठिदि उवन चिंतामनि, उव उवन हिय न्यान ठिदि जिनय जिना । उव उवन सहि उवन ठिदि समय समय जिनं, उवन हिय सहि जिन सिद्धि जिना ॥ ८ ॥ ॥स्वामी हो.॥ इच्छ सुइ लब्धि सुइ गुपित चिंतामनि, अवयास सुइ उवनु सुइ उवन जिनं । अवयास मल विलय धुव उवन चिंतामनि, इच्छ सुइ गुपित जिन जिनय जिनं ॥ ९ ॥ ॥स्वामी हो.॥ (३६७)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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