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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ॥ श्री ममल पाहुइ जी जिनु साहि सुयं सुइ उत्त मौ, सुनि न्यानी हो । जिनु भवन विंद सम साहि, विंद जिन स्वामी हो ॥ २८ ॥ जिनु भवन कमल कलि कमल मौ, सुनि न्यानी हो । जिनु कमल कमल सिद्धि रत्तु, दिप्ति जिन स्वामी हो ॥ २९ ॥ जिनु अर्क अर्क जिन जिनय मौ, सुनि न्यानी हो । जिनु अर्क विंद सम संतु, संत जिन स्वामी हो ॥ ३० ॥ जिनु तारन तरन सु अर्क जिनु, सुनि न्यानी हो । जिनु समय अर्क सिव पंथु, पंथ जिन स्वामी हो ॥ ३१ ॥ जिनु तारन तरन विवान मौ, सुनि न्यानी हो । जिनु समय सिद्धि संपत्तु, सिद्ध जिन स्वामी हो ॥ ३२ ॥ EEEEEEEEEET ॥ उव उवन जयं हिय उवन जयं, सह साह जयं उव समय जिनं । जिन तुव पय हम सरनं, सुयं जिन तुव पय हम सरनं ॥ ४ चर चरन जयं कलि कलन जयं, जय कलन कमल जिन धुव उवनं । जिन तुव पय हम सरनं, जिनय जिन तुव पय हम सरनं ॥ ५ धुव उवन सुयं सुइ सुवन सुयं, धुव उवन कर्न सम समय जिनं । जिन तुव पय हम सरनं, सहज जिन तुव पय हम सरनं ॥ ६ सुव सुवन समं सम सुवन सुयं, अवयास उवन सम साहि जिनं । जिन तुव पय हम सरनं, परम जिन तुव पय हम सरनं ॥ ७ अवयास सुयं सुर रमन रम, सुइ अर्क उवन विंद समय जिनं । जिन तुव पय हम सरनं, नंद जिन तुव पय हम सरनं ॥ ८ इस्ट उवन जयं उव उवन जयं, उव उवन इस्टि उव समय जिनं । ॥ - - (११२) उवन इस्ट समयसार फूलना गाथा २३३२ से २३७२ तक (विषय : कमल दल, लब्धि-१) जिन जिनय जय जय जयो जयं, जिन उवन जयं जय समय जयं ॥ १ ॥ जिन तुव पय हम सरनं, अलष जिन तुव पय हम सरनं ॥ २ ॥ |आचरी॥ तारै तरै समय सुइ तार, अबलबली जिन जिनय जिनं । जिन तुव पय हम सरनं, केवल जिन तुव पय हम सरनं ॥ ३ ॥ ॥ - = ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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