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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी हुव नंत नंतं अवयास साह, अवयास नंतं अन्मोय कर्न । कर्न अन्मोयं सुइ दिप्ति उवनं, दिप्तिं सहावं उवनं सु दिप्तिं ॥ ७ ॥ दिप्तिं सु दिप्ति अवयास उवनं, अवयास कलनं अन्मोय कमलं । कमलं सु दिप्तिं सम साहि कर्न, अन्मोय कर्न सुइ दिप्ति उवनं ॥ ८ ॥ दिप्तिं सु नंतं दिस्टि प्रवेसं, दिस्टि अनंतं दिप्तिस्य चरनं । कलनस्य चरियं धुव उवन कमलं, अन्मोय कर्न सम सिद्धि सिद्धं ॥ ९ ॥ भय विलय कर्न अभयं स उवनं, अवयास नंतं दिप्तिं सु दिप्तिं । अभयं भय उत्तं विलयस्य कमलं, अन्मोय कर्न अभयं जिनुत्तं ॥ १० ॥ अभयस्य उवनं अवयास नंतं, ___ नंतं सुयं सुर्क सुइ अर्क उवनं । सुकै सुर्य सेस सु अर्क कमलं, कमलं सुयं सुर्क अन्मोय कर्न ॥ ११ ॥ सुकै सु उवनं अवयास दिप्ति, दिप्तिं सु अर्क सुदिप्ति अर्क । सु दिप्ति कमलं अभयं जिनुत्तं, अन्मोय कनं सुकं सु नंतं ॥ १२ ॥ सुर्कस्य उवनं अभयं जिनुत्तं, सुकै सु अर्क पद अर्थ अर्थं । पद अर्थ कमलं कलनं सु कन, अन्मोय श्रवनं सर्वार्थ अर्थं ॥ १३ ॥ सुर्क सु अर्थं सर्वार्थ अर्थ, अवयास कलनं चर नंत कमलं । कमलस्य सुकै अर्थ सु कन, कर्नस्य श्रवनं सर्वार्थ सिद्धं ॥ १४ ॥ अर्थस्य अर्थं हिय कर्न उवनं, __ हिय अर्थ उवनं कर्न सु समयं । समयं अनंतं कर्न अथाहं, गहिरस्य उवनं सुइ श्रवनस्य साहं ॥ १५ ॥ अर्थं पदार्थं सुइ विजनत्वं, पदं पदार्थ चतुस्टं च अर्थं । जानं जयं अर्थ सु गुपित गहिरं, हिय कर्न उवनं सर्वार्थ कमलं ॥ १६ ॥ कमलस्य कलनं चर अर्थ दिप्तिं, दिप्तिं सुयं अर्थ पदं पदार्थं । सर्वन्य अर्क कमलार्थ सिद्धं, अन्मोय कर्न सम समय मुक्तिं ॥ १७ ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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