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________________ श्री ममल पाहुइ जी (१४) अस्ट प्रतीहार फूलना गाथा १९१४ से १९२५ तक (विषय : आठ प्रतिहार्य का वर्णन) अयं सुभाव जिनय जिन उवनं, उववन्न हिययार सहयार रमन जिनु । पर्जय तं विलय असोय सुर्य जिनु, भय विलय नंत सुइ सिद्धि जयं ॥ भवियन दिस्टि सब्द भय विलय सुयं ॥ १ ॥ उव उवन पयं जिननाथ सुयं, जिन जिनयति नंत अनंत रयं । पर्जय भय गलिय ममल पय मिलियं, भय षिपिय अमिय रस ममल पयं ॥ भवियन अन्मोय तरन सुइ सिद्धि जयं ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ सुयं रमन उत्पन्न दिस्टि जिनु, उव उवन दिप्ति उव उवन रमं । कम्मट्ठ गंठि भय सल्य विलय जिनु, निसंक सब्द दिपि मुक्ति पयं ॥ भवियन तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३ ॥ ॥उव उवन.॥ दिपि दिप्ति दिप्ति आयरन दिस्टि जिनु, धुव ममल रमन निय नित सुयं । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी दिव्यधुनि नंत नंत जिन रमनं, भय विलय सिद्ध सुइ सिद्धि रमं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ४ ॥ ॥ उव उवन.॥ चौसठि चमर आयरन चरन जिनु, गुपित गठि भय विलय सुयं । तं गुपित न्यान अन्मोय चरन जिनु, तं विंद रमन जिन सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ५ ॥ ॥ उव उवन.॥ भय सल्य विलय पर्जय रय गलियं, उववन्न न्यान हिय उवन पयं । सहयार समय भय विलय जिनय जिनु, भामण्डल रमन सु सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ६ ॥ ॥ उव उवन.॥ आसन सिंहासन रमन परम जिनु, न्यान अन्मोय सु गुपित रयं । गुरु गुपित विन्यान सु ममल रमन जिनु, भय षिपिय रमन जिनु सिद्धि जयं ॥ भवियन अमिय रमन विष विलय जिनय जिनु सिद्धि जयं ॥ ७ ॥ ॥ उव उवन.॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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