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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी न्यान विन्यान सु रमन परम जिनु, नष केस क्रितु तं सुइ विलयं । न्यान क्रांति सुइ रमन रयन जिनु, अन्मोय तरन सुइ विंद रमं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ २४ ॥ ॥उव उवन.॥ मन उवन सहाव सु विलय ममल जिनु, न्यान विन्यान सु मन विलयं । अन्मोय न्यान अधिमोय जिनय जिनु, भय सल्य संक विलयंतु सुयं ॥ भवियन अयसय अधिमोय सु सिद्धि जयं ॥ २५ ॥ ॥उव उवन.॥ सर्वन्य हितं तं न्यान रमन जिनु, अन्मोय न्यान सुइ समय जयं । न्यानेन न्यान सम समय संजुत्तउ, मै मूर्ति तं उवन सुयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ २६ ॥ ॥उव उवन.॥ सिद्धं सिद्ध विसुद्धि रमन जिनु, सिद्धि सुयं सुइ रमन सुयं । तं परम न्यान उत्पन्न पुहुप रै, मुक्ति रमन तं फल उवनं ॥ भवियन वीय विन्यान सु मुक्ति पयं ॥ २७ ॥ ॥ उव उवन.॥ मै मूर्ति हिय रमन परम जिनु, महिय देस उत्पन्न मयं । ममल विंद तं रमन समय जिनु, कमल रमन तं मुक्ति पयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ २८ ॥ ॥ उव उवन.॥ वायं विन्यान सु वयन रमन जिनु, सुयं स्कंध धुव रमन पयं । जोयन जोजंति दिप्ति सुइ रमनं, पंचबीस विन्यानरयं ॥ भवियन परमिस्टि इस्टि सुइ सिद्धि जयं ॥ २९ ॥ ॥ उव उवन.॥ नंद अनंद सुइ नंद परम जिनु, चेयनंद सहजानंद सुयं । परमनंद सुइ नंद जिनय जिनु, जिनयति सुइ जय जय सिद्धि जयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ ३० ॥ ॥ उव उवन.॥ धुव लंक्रित धुव रमनु जिनय जिनु, धूलि कंट तं सुइ विलयं । नंतानंत सु दिप्ति रमन जिनु, तिन झड़प सुयं आवर्न विलं ॥ भवियन जिनु विंद रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३१ ॥ || उव उवन.॥ (३०७)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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