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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी आदि संहरन जिनय जिन उवनं, उववन्न न्यान सुइ ममल पयं । वज्रनराच न्यान सुइ रमनं, भय सल्य संक विलयंतु सुयं ।। भवियन विन्यान रमन सिय सिद्धि जयं ॥ ८ ॥ ॥उव उवन.॥ आदि अनादि स्थान सुइ रमनं, परिनामु नंत सु ममल पयं । दिप्ति दिस्टि सुइ रमन जिनय जिनु, अयसय अन्मोय सु सिद्धि पयं ॥ भवियन कमल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ९ ॥ ॥उव उवन.॥ सुह असुहं च रमन सुइ विलयं, सुद्ध रमन संसुद्ध पयं । अन्मोय विरोह सुयं सुइ गलियं, अयसय जयवंत सु ममल पयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ १० ॥ ॥उव उवन.॥ सुयं सुस्कंध सुयं सुइ रमनं, अस्थान स्थान परिनामु रयं । नंतानंत सु परिनै ममलं, अयसय सुइ नंत सु सिद्धि पयं ॥ भवियन तं विंद रमन सुइ मुक्ति जयं ॥ ११ ॥ ॥ उव उवन.॥ सोइ लष्यन सुइ लषिय षिपक जिनु, नंतानंत सु ममल पयं । अंग दिगंतह अर्थ अर्थ हिउ, अन्मोय तरन सुइ सिद्धि पयं ॥ भवियन अयसय सुइ नंत सु लषिय पयं ॥ १२ ॥ ॥उव उवन.॥ नंतानंत सु वीरज रमनं, तं न्यान रमन अन्मोय पयं । विन्यान वीय तं नंत नंताहिउ, भय सल्य संक विलयंतु सुयं ॥ भवियन अयसय सुइ रमन सु मुक्ति पयं ॥ १३ ॥ ॥ उव उवन.॥ हितमित परिनै कोमल रमनं, रमन विंद सुइ परम पयं । लघु दीर्घ नहु ऊंच नीच पय, विन्यान रमन तं मुक्ति पयं ॥ भवियन उवसम षिम रमन सु सिद्धि जयं ॥ १४ ॥ ॥ उव उवन.॥ सहजोपनीत तं सहज रमन जिनु, सहजनंद तं नंद सुयं । नंतानंत सु न्यान रमन सुइ, सहज अन्मोय सु सिद्धि पयं ॥ भवियन अयसय नंत सु सहज जयं ॥ १५ ॥ ॥ उव उवन.॥ (३०५)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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