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________________ श्री ममल पाहुइ जी (44) ॐ लषनो फूलना गाथा १३१४ से १३४७ तक (विषय: उत्पन्न सोलही) उव उवनौ हो उवनह उवन सहाउ, उव उवनी हो विंद विन्यान सुभाउ । उव उवन सहावे मुक्ति पऊ ॥ उव उवनी हो न्यान विन्यान संजुत्तु, उव उवनौ हो मुक्ति पंथ दसैंतु ।। सिद्ध सरूवे सिद्ध पऊ ॥ १ ॥ सिद्धह सुद्धह ममल सुभाउ, सु भय षिपनिक है भव्य सुभाउ । अमिय पयोहर अमिय मऊ ॥ नंद आनंदह नंद सुभाउ, सु चेयननंदह सहज सहाउ । परमानंद तं मुक्ति पऊ ॥ २ ॥ |आचरी॥ नो उत्पन्न निवंतर जुत्तु, ग्रीवक रेह तिलोय संजुत्तु । सुयं लब्धि तं ममल पऊ ॥ न्यान विन्यानह समय संजुत्तु, सु दर्सन दर्सिउ नंत अनंतु ।। सु उवनउ दाता देउ सुइ ॥ ३ ॥ || सिद्धह.॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी लब्धि उवनौ अलब्धि उत्तु, भोय उवभोयह न्यान संजुत्तु । विन्यान वीय तं मुक्ति पऊ ॥ सम सम्मत्तह समय संजुत्तु, हितमित परिनइ कोमल उत्तु । चरन सहावे सिद्धि पऊ ॥ ४ ॥ ॥सिद्धह. ।। कमलह केवलु कलिय सुभाउ, सो जिन रंजनु जन विलय सहाउ । ठकार विन्यान सु मुक्ति पऊ ॥ पंच पंचोत्तर परम उनु, उत्पन्न रमन तं रयन उवंनु । तत्काल रमन तं मुक्ति पऊ ॥ ५ ॥ ॥सिद्धह.॥ दिस्टि इस्ट है रिस्टि संजुत्तु, __ रिस्टि सिस्टि है सस्टि स उत्तु । उत्पन्न इस्ट तं ममल पऊ ॥ सहकार इस्टि है सिद्ध सहाउ, समय संजुत्तउ ममल पउत्तु । हितमित परिनै समय मऊ ॥ ६ ॥ ॥ सिद्धह.॥ (२४७
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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