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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी उववन्न इस्टि तं रस्टि रिस्टि जिनु, हिययार रमन रस रयन पऊ । सहयार श्री सुइ रमन सहज जिनु, सुइ नंद सनंद अनंद रमन जिन आयरो ॥ ५ ॥ उव उवन उस्टि हिययार रमन रयन जिनु, सहयार सहज रै समय मऊ । हिययार दिस्टि षट् रमन परम पय, परम नंद तं परम जिनय जिन आयरो ॥ ६ ॥ सहयार रमन हिययार रंजु रै, उववन्न दिस्टि सम समय मऊ । सम समय संजुत्तु विवान परम पऊ, सम समय संजुत्तु सु नंत निलय जिन आयरो ॥ ७ ॥ उत्पन्न रंजु भय षिपक रमन सुइ, नंद सनंद सु ममल पऊ । हिययार रंजु तं अमिय रमन जिनु, नंद अनंद सु नंद रमन जिनु आयरो ॥ ८ ॥ सहयार रंजु वैदिप्ति रमन जिनु, रमिय नंद चेयनंद जिनु । विन्यान रंजु तं रमन जिनय जिनु, सहजनंद तं सहज सुर्य तं परम सुर्य जिन आयरो ॥ ९ ॥ जिन रंजु रमन जिननाथ सुयं जिनु, परमनंद तं परम पऊ । तं तारन तरन विवान समय जिनु, सिहु समय संजुत्ती समय मुक्ति जिन आयरो ॥ १० ॥ जिन जिनयति जिनय जिनेंद जिनय जिनु, नंद सनंद सुयं जिन नंद पऊ । नंद सनंद नंद जिन जिनयति, लष्य सलष्य सलष्य अलष जिन आयरो ॥ ११ ।। लष्य सलष्य सलष्य अलष रुई, अलष्य सलष्य अलष्य परम पय परम पऊ । परम सु परम परम पय पयडिय, परम जिन परमनंद जिन आयरो ॥ १२ ॥ जिन जिनय स उत्तउ जिनय जिनय पऊ, उववन्न उवन उर्वन जिनु उवन उवन जिन उवन पऊ । सुइ सहज सरूवे सहज सहयार जिनु, सुयं सुयं जिन सुयं सु लष्य सु लष्य अलष जिन आयरो ॥ १३ ॥ उववन्न सिरी उववन्न दिस्टि रै, उववंन सब्द रै उवन स उवन उवन पऊ । उववन्न उवन उवन इस्ट तं इस्ट इस्ट पऊ, इस्ट सु इस्ट नंतानंत हिउ, इस्ट सनन्द सनंद नंद जिन आयरो ॥ १४ ॥ हिययार सिरी सिरी उवन उवन जिनु, उवन सनंद सनंद नंद जिनय जिन परम पऊ । (२०९)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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