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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी जिन घाय गलं जिन रंज समं, भय षिपिय मुक्ति संउत्तु ॥ ७ ॥ || जिन. ॥ जिन अर्थ सुयं जिन क्रांति मयं, वैदिप्ति कमल कलयंतु । जिन अमिय रसं जिन रंज मयं, जिन कम्म कलंक विलयंतु ॥ ८ ॥ ॥ जिन. ।। जिन समय मयं जिन परम पयं, जिन लोयालोय दर्सतु । जिन इच्छ मयं इच्छन्तु सुयं, वैदर्स रंज जिन उत्तु ॥ ९ ॥ ॥जिन.॥ जिन पदम सुयं जिन न्यान मयं, भय षिपनिक भव्वु स उत्तु । जिन कण्ठ अमिय वैदर्स समिय, जिन रंज मुक्ति संजुत्तु ॥ १० ॥ ॥ जिन. ॥ चेय मई जिन वेय मई, वैदिप्ति हिययार संजुत्तु । जिन हियं ममल जिन रंज रमन, जिन अर्क अमिय रस उत्तु ॥ ११ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन भय षिपियं जिन अमिय पियं, जिन रंज ममल संजुत्तु । जिन धम्म धुरं जिन न्यान सुरं, वैदर्स सिद्धि सम्पत्तु ॥ १२ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन दिस्टि दरसु वैदिप्ति सुरसु, भय षिपिय ममल दर्सतु । जिन रंज रमन जन रंज गलन, जिन अमिय सिद्धि सम्पत्तु ॥ १३ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन सिद्धि सुरं जिन ममल पुरं, जिन रंज अमिय संजुत्तु । जिन भय षिपनिक सुइ तारन तरन मई, वैदरसु सिद्धि सम्पत्तु ॥ १४ ॥ ॥ जिन. ॥ जिन पदम सुर्य जिन न्याय भयपनिक भव्यु स उनु । (३०) जिन इच्छ लषु फूलना गाथा ५८४ से ६०१ तक (विषय : अक्षर, स्वर, व्यंजन और अर्थ पय दूसरी) जिन दिस्टि इस्टि तं परम पऊ, जिन लषियौ सिद्ध सहाउ । जिन नंत लषु अनंत लषु, जिन नंत नंत लषि भाउ ॥ १ ॥ (१९०)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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