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________________ श्री ममल पाहुइ जी जं जिन अन्मोय पिओयं, तं भय षिपनिक संजोयं । भय षिपिय पयोहर नंदं, भय षिपिय विओय विनंदं ॥ ९ ॥ ॥ तं यहु.॥ जं न्यान अन्मोय सहावं, तं अमिय रमन रस भावं । जं अमिय रस रूव आनंद, तं अमिय विओय विनंदं ॥ १० ॥ ॥ तं यहु.॥ अन्मोय न्यान विन्यानं, भय षिपिय संजोय सवनं । भय षिपिय सरूव सनंद, भय षिपिय विओय विनंदं ॥ ११ ॥ ॥ तं यह.॥ अन्मोय न्यान ससरूवं, तं अमिय रस रमन सु सुरयं । जं अमिय रूव आनंद, तं अमिय अरूव विनंदं ॥ १२ ॥ ॥ तं यहु.॥ जं न्यान भक्ति अन्मोयं, भय षिपिय भक्ति संजोयं । भय षिपिय भक्ति आनंद, भय षिपिय विओय विनंदं ॥ १३ ॥ ॥तं यहु.॥ जं न्यान दिस्टि अन्मोयं, तं अमिय रमन रस जोयं । जं अमिय दिस्टि आनंदं, तं अमिय अदिस्टि विनंदं ॥ १४ ॥ ॥ तं यहु.॥ जं न्यान दिस्टि अन्मोयं, भय विपनिक रिस्टि संजोयं ।। जं अमिय रस इस्टि आनंद, तं रिस्टि विओय विनंदं ॥ १५ ॥ ॥ तं यहु.॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जं तारन तरन सहावं, तं दिस्टि रिस्टि सम भावं । भय षिपिय अमिय रस नंदं, तं रिस्टि विओय विनंदं ॥ १६ ॥ ॥तं यहु.॥ जं उस्टि सस्टि सहकारं, अवयास अन्मोय अपारं । भय षिपिय अमिय रस नंद, तं दिस्टि विओय विनंदं ॥ १७ ॥ ॥ तं यह.॥ अन्मोय न्यान सुइ समयं, तं षिपनिक इस्टि संजोयं । भय षिपिय अमिय रस नंद, तं रमन विओय विनंदं ॥ १८ ॥ ॥ तं यह.॥ जं षिपक इस्ट संजोयं, तं मुक्ति इस्ट परलोयं । भय षिपनिक सहज सहावं, तं अमिय रस रमन सुभावं ॥ १९ ॥ ॥ तं यहु.॥ जं इस्ट संजोयं मिलिये, तं मुक्ति रमन सं चलिये । सुह अंग अमिय रस रवनं, भय षिपिय मुक्ति संमिलियं ॥ २० ॥ ॥ तं यहु.॥ तं न्यान अन्मोय सु ममलं, जं समल सुभाव सु विलयं । भय षिपनिक रूव सहावं, सुह अंग अमिय रस भावं ॥ २१ ॥ ॥ तं यहु.॥ तं ईय विनोय आनंद, जं तारन तरन सनंदं । जं जान सहाव स उत्तं, सिहु समय सिद्धि सम्पत्तं ॥ २२ ।। ॥ तं यहु.॥ (१८८)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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