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________________ [अध्यात्म अमृत आध्यात्मिक भजन] भजन-२३ तारण श्रद्धांजलि भजन-२१ करले करले तू निर्णय आज, तुझे कहां जाना है। १. स्वर्ग नरक तिर्यंच गति में, कई बार हो आया। मनुष्य गति में भी आकर के,जरा चैन नहीं पाया ..... २. सबका निर्णय किया हमेशा, अपना नहीं किया है। बिन निर्णय के पगले तेरा, लगा न कहीं जिया है ..... अपना निर्णय आज तू करले, तुझे कहां है जाना। चारों गति संसार में रूलना, या मुक्ति को पाना ..... ४. इस संसार में सुख ही नहीं है, फिरो अनंते काल । मोक्षमार्ग में सुख ही सुख है, करलो जरा ख्याल.... सम्यक् दर्शन ज्ञान चरण ही, है मुक्ति का मारग । पाप पुण्य शुभ अशुभ भाव सब, हैं संसारी कारक..... ६. ज्ञानानंद करो अब हिम्मत, शुभ संयोग मिला है। अब के चूको फिरो भटकते, हाथ से जाय किला है..... दे दी हमें मुक्ति ये बिना पूजा बिना पाठ । तारण तरण ओ संत तेरी अजब ही है बात ।। वन्दे श्री गुरू तारणम्॥ जड़वाद क्रियाकांड को मिथ्यात्व बताया । आतम की दिव्य ज्योति को तुमने लखाया ॥ बन गये अनुयायी तेरे, सभी सात जात...तारण... २. भक्ति से नहीं मुक्ति है पढ़ने से नहीं ज्ञान । क्रिया से नहीं धर्म है ध्याने से नहीं ध्यान ॥ निज की ही अनुभूति करो, छोड़ कर मिथ्यात्व...तारण... ३. आतम ही है परमात्मा शुद्धात्मा ज्ञानी । तुमने कहा और साख दी जिनवर की वाणी ॥ तोड़ीं सभी कुरीतियां, तब मच गया उत्पात...तारण... ४. बाह्य क्रिया काण्ड से नहीं मुक्ति मिलेगी । देखोगे जब स्वयं को तब गांठ खुलेगी ॥ छोड़ो सभी दुराग्रह, तोड़ो यह जाति पांति...तारण... ५. ब्रह्मा व विष्णु शिव हरि, कृष्ण और राम । ओंकार बुद्ध और जिन, शुद्धात्मा के नाम ॥ भूले हो कहां मानव, क्यों करते आत्मघात...तारण... अपना ही करो ध्यान तब भगवान बनोगे । ध्याओगे शुद्धात्मा, तब कर्म हनोगे ॥ मुक्ति का यही मार्ग, तारण पंथ है यह तात...तारण... भजन-२२ नहिं है नहिं है रे सहाई कोई वीर, काहे को वृथा खेद करे॥ जिनके लिये तू निशदिन मरता, पाप पुण्य और सब कुछ करता। अंत समय कोई काम न आवे, खुद ही नरक परे...काहे.... अपने मोह से ही तू मरता, औरों पर तु दोष है धरता । कौन कहत है कछु करवे की, लोभ से खुद ही मरे...काहे.... ३. सत्गुरू तुझे कैसा समझावें, सच्चे सुख का मार्ग बतावें । कछु नहीं करने समता धरने, तब कछु फरक परे ...काहे.... ४. छोड़ दे अब सब जंजाला, भजले अब गुरू नाम की माला । मोही छोड़ के सब झंझट को, चल तू पार परे ...काहे....
SR No.009710
Book TitleAdhyatma Amrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanand Swami
PublisherBramhanand Ashram
Publication Year1999
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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