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________________ वक्रोक्तिजीवितम् वस्तुमात्रं च शोमातिशयशून्यं न काव्यव्यपदेशमर्हति । यथा प्रकाशस्वाभाव्यं विदधति न मावास्तमसि यत् तथा नैते ते स्युर्यदि किल तथा तत्र न कथम् । गुणाभ्यासाभ्यासव्यसनढदीक्षागुरुगुणो रविव्यापारोऽयं किमथ सदृशं तस्य महसः ॥ ११ ॥ शोभातिशय से हीन वस्तुमात्र भी. काव्यसंज्ञा के योग्य नहीं होती। जैसे अन्धकार में वस्तुयें जिस प्रकाशप्रकृतिकता को नहीं प्रस्तुत कर पाती ये उस तरह की वे हो ही न पायें यदि वहाँ पर वैसी चीज किसी तरह न हो। (तम के ) गुणों के निवेश के अभ्यास के नष्ट कर देने की कठोर दीक्षा देने में समर्थ आचार्य स्व गुणवाला यह सूर्य का व्यापार है तो भला उस ज्योति के तुल्य और क्या हो सकता है ॥ ११ ॥ अत्र हि शुष्कतर्कवाक्यवासनाधिवासितचेतसा प्रतिभाप्रतिभातमात्रमेव वस्तु व्यसनितया कविना केवलमुपनिबद्धम् । न पुनर्वाचकवक्रताविच्छित्तिलवोऽपि लक्ष्यते । यसमात्तर्कवाक्यशय्यैव शरीरमस्य श्लोकस्य । तथा च तमोव्यतिरिकाः पदार्था धर्मिणः, प्रकाशस्वभावा न मवन्तीति साध्यम् तमस्यतथाभूतत्वादिति हेतुः । दृष्टान्तस्तहि कथं न दर्शितः, तर्कन्यायस्यैव चेतसि प्रतिभासमानत्वात् । तथोच्यते___ इस पद्य में सूखे तर्क वाक्य की ( अनुमान वाक्य ) वासना से अधिवासित चित्त वाले कवि ने व्यसन के कारण प्रतिभा से प्रतीतमात्र ही वस्तु को पद्यबद्ध कर दिया है। न कि इसमें शब्दवक्रता की शोभा का लेश भी लक्षित होता है, जिससे केवल तकवाक्य ( अनुमानवाक्य ) की शय्या ही इस श्लोक का शरीर है। क्योंकि अन्धकार से अतिरिक्त पदार्थरूप धर्मी स्वयं प्रकाश नहीं होते हैं, यह साध्य (प्रतिज्ञावाक्य ) है । अन्धकार में उस प्रकार (प्रकाशस्वभाव ) न होने से यह हेतु ( वाक्य ) है। ( अतः यह काव्य न होकर केवल अनुमानवाक्य ही है ) इस पर पूर्वपक्षी प्रश्न करता है कि यह वाक्य आपके अनुसार काव्य न होकर यदि अनुमानवाक्य ही है तब दृष्टान्त क्यों नहीं दिखाया गया ? ( क्योंकि अनुमानवाक्य में दृष्टान्त दिखाना चाहिए था तो इसका उत्तर कुन्तक यह देते हैं कि दृष्टान्त यहाँ इसीलिए नहीं दिखाया गया क्योंकि उस तार्किक कवि के) हृदय में (काव्य रचना करते समय) तर्कन्याय ही प्रतिभासित हुमा था। वैसा कहा भी गया है
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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