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________________ ४०४ ३६९ र्भाव ( ७१ ) उसके पाँच प्रकार ३५७, ३५८ : संसष्टि के उदाहरण पर्यायोक्त अलवार सकर के उदाहरण ४०५. ज्याजस्तुति के उदाहरण ३६१ अन्य अलङ्कारों की अलकारता का उत्प्रेक्षा अलवार ३६१ निराकरण ४०६ उत्प्रेक्षा का अन्य प्रमेद यथासक्य की अलकारता का अतिशयोक्ति अलङ्कार निराकरण उपमा अलङ्कार आशी की अलङ्कारता का खण्डन ४०७ प्रतिवस्तूपमा का उपमा में अन्त. विशेषोक्ति की अलङ्कारताकाखंडन ४०८ भाव ३७६ | हेतु, सूचम और लेश की अलकारता उपमेयोपमा का उपमा में अन्त का निराकरण ४०८ ३७७ | उपमारूपक की अलङ्कारता का . तुझ्ययोगिता का उपमा में अन्त. निराकरण १०९ वि ३७७ । उपसंहार अनन्वय का उपमा में अन्तर्भाव ३७९ : निदर्शना का उपमा में अन्तर्भाव ३८० चतुर्थ उन्मेष परिवृत्ति का उपमा में अन्तर्भाव ३८२ : प्रकरणवक्रता का प्रथम प्रकार " श्लेषालकार के उदाहरण ३८५ , द्वितीय प्रकार ४१४ व्यतिरेक अलङ्कार ३८७ तुतीय प्रकार ४१७ व्यतिरेक का द्वितीय प्रकार ३९० , चतुर्थ प्रकार. १२. विरोध का श्लेष में अन्तर्भाव ' ३९१ पशम प्रकार ४२८. समासोकि की अलकारता का पष्ट प्रकार ४३. निराकरण ३९१ । " " सप्तम प्रकार ४३२ पूर्वाचार्यों द्वारा स्वीकृत सहोकि का . , अधम प्रकार उपमा में अन्तर्भाव ३९२ , , नवम प्रकार कुन्तकाभिमत सहोकि भलवार प्रवन्धवक्रता का प्रथम प्रकार . ४४० रान्त बलकार ३९७ " द्वितीय प्रकार ४४५ मर्थान्तरन्यास अलकार १९८ , तृतीय प्रकार ५४४ भाप लहार , चतुर्थ प्रकार ४४५ विभावना अलकार " पक्षम प्रकार ४४५ सम्देह मलबार " " पप्रकार ४५७ अपडुति अलङ्कार , सप्तम प्रकार ४४९ ४०० ४०
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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