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________________ ( ५० ) सुकुमार मार्ग कुन्तक ने सुकुमार मार्ग की अधोलिखित विशेषतायें प्रस्तुत की हैं:- . (१) यह कवि की दोषरहित मार्ग उसको अपूर्व शक्ति द्वारा समुल्लसित होने वाले, एवं सहृदयों को आह्लादित करने में समर्थ शब्दों एवं अर्थों के कारण रमणीय होता है। (२) बिना किसी प्रयत्न के विरचित किए गए थोड़े से ही हृदयाह्लादक अलंकारों से समन्वित होता है । (३) इसमें कवि-शक्ति से समुल्लसित होने वाला पदार्थों का रमणीय स्वभाव ही सौन्दर्य को प्रस्तुत करता है, उस स्वभाव-सौन्दर्य के आगे अन्य काव्यों में विद्यमान व्युत्पत्तिजन्य कौशल फीका पड़ जाता है। ( ४ ) साथ ही शृङ्गारादि रसों के परम रहस्य को जानने वाले सहृदयों के मनःसंवाद के योग्य रमणीय वाक्यविन्यास से युक्त होता है। (५) इसमें कविकौशल का, किसी भी इयत्ता की परिधि में वर्णन नहीं किया जा सकता। उसका सौन्दर्य विधाता के कौशल से निर्मित सृष्टि के उत्कर्ष के तुल्य होता है। (६) साथ ही इसमें जितना कुछ भी अलंकार वैचित्र्य होता है वह सब कवि की प्रतिभा से निर्मित होता है। उसके श्राहार्य कौशल का उसमें सर्वथा अभाव होता है और वह सौकुमार्य की रमणीयता को प्रस्तुत करने वाला होता है। ___ इस मार्ग में निपुण कवियों के रूप में कुन्तक ने कालिदास व सर्वसेन आदि का नाम ग्रहण किया है। विचित्र मार्ग कुन्तक के अनुसार विचित्र मार्ग की निम्नलिखित,विशेषतायें हैं: (क) कवि की प्रतिभा के प्रथम उल्लेख के अवसर पर भी बिना उसके प्रयत्न की अपेक्षा रखने वाले शब्दों और अर्थों के अन्दर कोई वकताप्रकार परिस्फुरित होता रहता है। (२) इस मार्ग में कविजन केवल एक ही अलंकार से सन्तुष्ट नहीं होते इसीलिये उस अलंकार के अलंकाररूप में वे अन्य अलंकार को उपनिबद्ध करते हैं। (३) यहाँ अलंकार की महिमा ही इतनी प्रकृष्ट होती है कि अलंकार्य उसके स्वरूप से आच्छादित-सा होकर प्रकाशित होता है ।
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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