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________________ प्रथमोन्मेषः कपोलादीनां तदवयवानामेतदवस्थत्वं प्रत्यक्षतयास्मदादिगोचरतामा पद्यते, तस्याः पुनर्योऽसावन्तर्विकारव्यतिकरस्तं तदनुभवकविषयत्वाद्वयं न जानीमः । यथा च यहाँ पर अश्रुसमूह आदि अचेतन ( पदार्थों) की भी कर्तृता को, उन 'पर चेतनता का आरोप करके, कवि ने उपनिबद्ध किया है ( अर्थात् 'स्नान कराते हैं क्रिया के कर्ता के रूप में 'अश्रुसमूह' का, 'लौटते हैं क्रिया के कर्ता के रूप में 'पञ्चमरव' का, तथा 'गिरते हैं' क्रिया के कर्ता के रूप में 'कपोल' का प्रयोग किया है, जो कि अचेतन पदार्थ हैं, जिनके कारण वाक्य में एक अपूर्व चमत्कार आ गया है) कि-उसके विरह-व्यथा से विवश होने पर कपोल आदि उन अचेतन पदार्थों का इस प्रकार का व्यवहार है। वह स्वयं कुछ भी करने में समर्थ नहीं है ( अर्थात् वह कुछ भी कर सकने में पूर्णतया विवश है ) और दूसरी बात यह है कि उसके अङ्गभूत कपोलादि की ऐसी अवस्था तो प्रत्यक्षरूप से हमको दिखाई पड़ती है, लेकिन उसकी जो यह केवल उसी के द्वारा अनुभव की जा सकनेवाली आन्तरिक विकार की अवस्था है उसको हम नहीं जानते । और जैसे ( इसी का दूसरा उदाहरण )-राजशेखरविरचित 'बालरामायणम्' नामक नाटक के द्वितीय अङ्क में परशुराम के प्रति रावण का यह कथन है कि चापाचार्यत्रिपुरविजयी कार्तिकेयो विजेयः शस्त्रव्यस्तः सदनमुदधिभूरियं हन्तकारः। अस्त्येवैतत् किमु कृतवता रेणुकाकण्ठवाघां बद्धस्पर्शस्तव परशुना लज्जते चन्द्रहासः ।। ६६ ।। (हे परशुराम जी ! यह बात सही है कि ) त्रिपुर पर विजय प्राप्त करने वाले ( भगवान् शङ्कर आपके ) धनुष ( अर्थात् धनुर्विधा ) के गुरु हैं, तथा स्वामिकार्तिकेय पर आपने विजय पायी है, एवम् आपके शस्त्र ( पहले ) से व्यस्त किया गघा समुद्र आपका निवास स्थान है और यह पृथ्वी हन्तकार है। यह भी सही है । किन्तु फिर भी ( अपनी माता ) रेणुका की गर्दन को वाक्य का अर्थ इस प्रकार होगा-"यदि ( विरह-व्यथा से ) विवश होने पर उस ( रमणी) के उन कपोलादि अचेतन अवयवों) का इस प्रकार का व्यवहार है तो वह स्वयं कुछ भी (अमंगल गापार) करने में समर्थ होती है है यह अभिप्राय हुआ। ( अर्थात् विरह-व्यथा से अधिक पीडित होकर वह अपनी जान भी दे सकती है)।
SR No.009709
Book TitleVakrokti Jivitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadhyshyam Mishr
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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