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________________ प्रकाशक, निवेदन पुरातत्त्वमंदिरनी प्रबन्धसमितिए संवत् १९७९ ना भादरवा वद १३ ना दिवसे निर्णीत करेला (उराव पहेलाना परिशिष्ट १ मां सूचवेला ) कार्यक्रम प्रमाणे संमंतितर्कप्रकरणनो आ पहेलो भाग प्रकट थाय छे. आ ग्रन्थने आवा रूपमा प्रकाशित करवानो मूळ संकल्प अने उपक्रम पं. श्रीसुखलालजी द्वारा आगराना आत्मानन्द जैन पुस्तकप्रचारक मंडळे करेलो. पण, ज्यारे पं. सुखलालजीए पुरातत्त्वमंदिरमां जोडाई, पोतानी सेवा विद्यापीठने समर्पित करी, त्यारे तेमणे ए ग्रन्थ पाछळ, पूर्वे उठावेला मोटा श्रमनो खयाल करी, तेमज संस्कृत साहित्यना दर्शनशास्त्रोमांना एक महान् अने अमूल्य गणाता ग्रन्थरत्ननो उद्धार थाय ते विद्यापीठने इष्टकृत्य जणायाथी आ ग्रन्थना संशोधन अने प्रकाशननो भार उपाडवानी पुरातत्त्वमंदिरने अनुमति आपवामां आवी. मंदिरे आ काम हाथमां लीधा पहेलां, पं. श्रीसुखलालजी हस्तक, आगराना उक्त मंडळना संचालक बाबू श्रीदयालचंदजी झवेरीए एना अंगे लगभग ११०० रुपिआ जेटलो खर्च को हतो, ते तथा, जे जातना आवा सरस अने मजबुत कागळो उपर आ ग्रन्थ मुद्रित थाय छे ते कागळो रु. १००० रूपीया एक हजारनी किंमतना पण उक्त मंडळे भेट आपेलां छे, के जे रकम ए मंडळने अमदावादना शेठ वाडीलाल वखतचंद झवेरी तरफथी प्रस्तुत ग्रन्थना प्रकाशन-कार्यमाटे दान करवामां आवी हती ए उपरांत, गया वर्षमां आ ग्रन्थनी केटलीक हस्तलिखित प्रतिओना पाठांतरो वगेरे संग्रहवानी शीघ्र आवश्यकता भासवाथी पं. सुखलालजीए पोताना मददगार तरीके एक त्रीजा विद्वानने केटलोक समय रोकेला हता अने ते माटे तेमने ४१६ रुपिआ वेतनना आपवामां आव्या हता. वेतननी आ वधारानी रकम रा. रा. श्रीकेशवलाल प्रेमचंद मोदी मारफत अपाई हती. आ रीते आ कार्यमां आगराना उक्त मंडळ अने तेना सहायक गृहस्थोनी आर्थिक उदारतानो जे लाभ विद्यापीठने मळ्यो छे ते माटे ते बधानो उपकार मानवामां आवे छे. प्रकाशक श्रावण वद ५, सं. १९८० । गुजरात विद्यापीठ कार्यालय ।
SR No.009696
Book TitleSanmatitarka Prakaranam Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size242 MB
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