SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृतलेखविभाग। हयगजेनररथबहुलं दंड" पठापयति कुसंबान खतिपण ते प्रमाणे छे. तेनुं कारण एवं होइ शके के कोईए प्लास्टरने शाही लगाडी हशे तेथी फोटोग्राफमां सो जेवू देखाय छे. ८. K मां पयिमदिसं छे. कारण के य तथा छ लगभग एक सरखाज छे. छ ना उपरना गोळाधने K ए खरी रीते, छे एम धार्यु हशे. कारणके त्यां जरा फाट छे अने तेथी ते य जणाय छे. C नी नकलमां सछिमदिसं छे. पण मूळ लेखमां बेशक पहेलो अक्षर प ज छे. ९. K मां पयगज छे कारण के प अने ह लगभग सरखा छे. मूळ लेखमां ह स्पष्ट छे अने ८ मां पण खरं छे. ८ मां बीजो अक्षर ये छे पण मात्रा करवी नहि जोईए. वळी तेमां गज ने बदले मन छ ते पण भूल छे. १०. K अने C बन्नेए बहुलं ना ल ना उपरतुं अनुस्वार काढी नांख्युं छे. पण मूळ लेखमां अनुस्वार स्पष्ट छे. ११. ८ मां नंते छे जे स्पष्ट रीते भूल छे. मां दंड छे तथा ड नी उपर एक अनुस्वार जेवू छे. १२. K अने C बन्नेमां पथापनति छे. पण में चोथो अक्षर बराबर जोयो छे अने ते य छे; तेनी नीचेनी लोटी वक्र छे तोपण य स्पष्ट छे. पथापयति नी आगळ आ लीटीनो जे भाग जाय छे ते शंका उत्पन्न करे छे. कारण के अक्षरो झांखा तथा अस्पष्ट छे. K नी नकल स्पष्ट छे अनेक नी नकल घणी भूलोवाळी छे. १३. ८ ए कुसवानं नु कु मूकी दीधुं छे. पण ते मूळ लेखमा स्पष्ट छे. ( मां कु ने बदले क छे. छेल्लो अक्षर (नं), ना जेवो देखाय छे, पण ना होय तो काइ सारो अर्थ नीकळतो नथी. हूं धारु "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy