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________________ धर्म हो ई. स. नी शरुमातमा कया कया वंशो कलिंग उपर राज्य करता हता तेना विषे चोकस रीते जाणी शकी तेम नथी; पण पटलं तो आपने जाणीए छीए के हिंदुस्थानमा मुदा जुदा देशोना राजाओए कलिंग देश जीत्यो हतो. तेनी समृद्धि विषेनी प्रख्याति घणे दूर सुघी पहोंची इती. अने तेथी पासेना राजाओगे ते देश जीतवानी उत्साह थतो. कलिंग देश घणो समृद्धिवान् हतो, ए नीचेनी विगत उपरथी कही शकाय :- कलिंग देश ' नवखंड पृथ्वी ' ना नव खंडोमाथी एक खंड गणातो हतो; ए प्रमाणे तामील शब्दकोघोमां जणान्युं छे. (जुओ सेन्डरसननो कानडी कोष. ) " 在 रामायण अने महाभारतनो वखत बाद करतां त्यार पछीना वखतमां जे जे राजाओए ते देश उपर हमला कर्या ते राजाओ एटला बधा छे के तेमनुं वर्णन थई शके तेम नथी. ई. स. पूर्वेना ३ जा सकामां अशोके ते देश जीत्यो ए विगत म्हें उपर आषी छे. घणे भागे अन्ध्रवंशना राजा शातकर्णीना हुमला विषे हाथीगुफाना लेखमां आपवामां आव्युं छे. तेणे " घणा घोडा तथा हाथीयो " मोकल्या पण ते बधा खारवेले हरायी. " (< ई. स. ना बीजा सैकानां कलिंगदेश अन्त्र राजाओना हाथमां गयो, मंगलेश राजाना स्तंभलेख उपरथी आपणे जाणी शकीर छीए के बदामी (Badami ) ना पश्चिमीय चालुक्योना राजा पहेला कीर्तिवर्मा जेणे ई.स. १६७-६८ थी २९७-९८ सुधी राज्य कर्यु, तेणे कलिंगना राजाने हराव्यो तेज वंशना कीर्तिवर्माना पुत्र बीजा पुलकेशीए ई. स. सातमा सैकामां ते जीत्यो अने ते वखते कनोजमां हर्षवर्धन राज्य करतो हतो. " १वी. स्मीथनी 'अहिस्टरी ऑफ इन्डीओ ' पू. १८५. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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