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________________ छे अने केटलीक जैनधर्मनी छे. परंतु परस्पर बने धर्मनी सेळमेळ थइ जवाना लीधे तथा बने धर्मोमां जे केटलोक समानता छे तेना लोधे, आ गुफा-समूहमांधी केटली अने कइ जैनोनी छे अने कइ बौद्धोनी छे ते बरोबर तारवी शकाय तेम नथी. आ बधी मुहाओ एकी वखते बइ नयी परंतु जुदा जुदा समये बनी छे. बाबू मनोमोहन जणावे छे के "आ गुहाओनो इतिहास अंधारामां रखो छे अने घणा विद्वानोर ते इतिहास जाणवाने निष्फळ प्रयत्नो कर्या छे. हिंदुस्थानना आ भागनी गुहाओनो पश्चिम विभागनी गुहाओ साथे घणो संबंध नथी. तेथी मिति शोधवामां तथा नक्की करवामां शोधक आडे मार्गे चढी जाय तेम छे. हाथीगुकाना [ आ ] लेखथी ओरीस्साना आ अंधा. रामा रहेला इतिहास उपर अजवाडं पडे छे. पंडित भगवानलाल इन्द्रजीना बांचवा प्रमाणे ते गुहाओनी मिति धणामां घणी इ. स. नी बीजी सदी होइ शके. तेमना कहे वा प्रमाणे आ गुफा जैन राजा खारवेले खोदी काढी हती. लिपिना अक्षरो उपरथी एम कही सकाय के घणी खरी गुहाओ इ. स. पूर्व बीजा अगर त्रीजा सैकामां खोदी का. ढेली छ; अने इ. स. पूर्वे चोथा अगर पांचमा सैकामां पण ते थयेली होय एम कहेवामा काइ खोटुं नथी; एटले के हाथीगुफा लेखनी पहे. लांना समयमां; कारण के जे स्थळे आ गुहाओ छे ते स्थळने धार्मिक लोको घणा समयर्थी पवित्र गणता होवा जोइए." काळगणना. " आ गुहाओनी चोकस रीते कालगणना करवी ए तद्दन अशक्य छ. अने जैन तथा बौद्ध गुहाओना सेळभेळना लीधे अशक्यता वधी छे. भिन्न भिन्न विद्वानोए तेमनी भिन्न भिन्न मितिओ नकी करी छ ए ज "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009685
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1917
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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