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________________ [ ४४ 1 .. जांगलू देशनोक से १० मील है, यह गाँव बहुत प्राचीन है। सं० ११७६ का जांगलकूप के उल्लेखवाला परिकर बीकानेर के डागों के श्री महावीरजी के मन्दिर में है। यहां अभी ओसवालों का केवल १ घर है। __ श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर सं० १८६० मिती कार्तिक वदि १३ को बनाये जानेका उल्लेख शिलापट्ट पर है। मूलनायक पार्श्वनाथजी और दादासाहव श्री जिनकूशलसुरिजी के चरण सं० १८८७ मिती आषाढसुदि १० को श्री जिनहर्षसुरिजी द्वारा प्रतिष्ठित हैं। सिद्धचक्रजी के यंत्र पर सं० १८८५ मिती आसोजसुदि ५ को जांगलू के पारख अजयराजजी के पुत्र तिलोकचन्दजी द्वार बनवाकर श्री जिनहर्षसूरिजी से प्रतिष्ठा कराने का उल्लेख है। यह मन्दिर भी पारखों का बनवाया हुआ है। पांचू __ ये देशनोक से लगभग २० मील की दूरी पर है, यहाँ श्री पार्श्वनाथजी का मन्दिर है जिसका निर्माण काल अज्ञात है। नोखा-मंडी यह मंडी बीकानेर से मेड़ता जानेवाली रेलवे का (४० मील दूरी पर ) चौथा स्टेशन है। यहाँ ओसवालों के ७० घर हैं। __श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर इस मन्दिर के मूलनायकजी व गुरुपादुकादि जेसलसर के मन्दिर से लाये गये हैं। सं० १६६ मिती माघसुदि १४ को श्री विजयलक्ष्मणसूरिजी ने इसकी प्रतिष्ठा की। यह गांव बीकानेर से २७ मील पश्चिम और कोलयत रेलवे स्टेशन से ६ मील है। यहां ओसवालों के २५ घर हैं। यहां दो मन्दिर और दो उपाश्रय हैं । श्री नेमिनाथजी का मन्दिर यह बेगानियों के बासमें है, इसके निर्माण कालका कोई उल्लेख नहीं मिलता और न मूलनायकजी पर ही कोई लेख है। इस मन्दिर में सप्तफणापार्श्वनाथजी की धातु मूर्ति पर सं० १०२१ "क्लिपत्यकूप चैत्ये स्नात्र प्रतिमा" का लेख है। श्रीजिनदत्तसूरि और श्रीजिनकुशलसूरिजी के चरण झन्झके श्री संघ कारित, और सुमतिशेखरगणि द्वारा प्रतिष्ठित हैं। पं० सदारंग मुनिके चरण सं० १६०४ के हैं। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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