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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह ( २५६५ ) श्री संवत् १८९९ शाके १७६४ मितिमार्ग मासे कृष्ण पक्षे १ प्रतिपदायां अमरसोत शाखायां आर्याजी श्री जसूजितां पादुका पौतृका आर्या उमा प्रतिष्ठिताः । ( २५६६ ) श्री संवत् १८९९ शाके १७६४ मिती मिर्ग मासे कृष्ण पक्षे १ प्रतिपदायां अमरसोत शाखायां आर्याजी श्री अमरां जितां पादुकां प्रपौत्रिका आर्या उमा प्रतिष्ठिता श्रीरस्तु । ३६३ ( २५६७ ) ॥ श्री संवत् १८९९ शाके १७६४ प्रवर्त्तमाने मिती मार्ग मासे कृष्ण प्रतिपदायां अमरसोत शाखायां आर्याजी श्री उमेदाजित पादुका शिष्यणी उमा प्रतिष्ठित || ( २५६८ ) श्री ॥ संवत् १८९९ शाके १७६४ प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मासे मार्ग मासे कृष्ण पक्षे १ प्रतिपदायां शनिवारे श्रीवृहन्नागपुरीय हुंका गच्छे पूज्याचार्य श्री १०८ श्रीलब्धिचंद्रजी विजयराज्ये अमरसोत शाखायां पूज्य ६ महर्षि श्रीपरमानन्दजितः श्री १८९४ मिति वैशाख शुक्ल नवम्यां देवंगतः तेषां अस्मिन् शुभदिने पादुकाः शिष्यर्षि टीकमचंद सुजाणमल्लाभ्यां प्रतिष्ठिताः || श्रीरस्तु ॥ महादेव जी के मन्दिर में ( २५६९ ) श्री ऋषभदेव चरणाभ्योनमः ॥ सं० २८५२ मिती फाल्गुन सुदि १२ सोमवारे मु० श्रीप्रतापमलजी केन प्रतिष्ठा कृता श्री सुसाशी माता का मन्दिर ( सुरागों का क्मेबी) ( २५७० ) शिलापट्ट पर स्वस्ति श्री ऋद्धि वृद्धि जयोमांगल्योदयोश्चेतु श्री विक्रमनृपे कृतौ संवत् १९६१ शाके १८२६ प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मासे फाल्गुनमासे धवल पक्षे ३ तृतीया दिने घटी २२ ३४ गुरुवासरे रेवती नक्षत्रे घटी १३ ४९ ब्रह्मयोग घटी ४।३४ गणकरण घटी २२।३४ श्री महाराजाधिराज श्री १००८ गंगासिंहजी विजयराज्ये सेसाणी माता रौ इदं मन्दिर सुराणा जुहारमल चुनीलाल * यह लेख वेद प्रतापमलजी के कुएँ के पास उन्हीं के बनवाये हुए महादेवजी के मन्दिर में श्रीऋषभदेव भगवान के चरणों पर है। कुएँ के गोवर्द्धन पर ४८ पंक्ति का लेख महाराजा सूरतसिंह के समय का है जो घिस गया है। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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