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________________ जैन-धातु प्रतिमा लेख (२१५) गंवत १५३० वर्ष फागुण सुदि ७ भूप (भीम) दिने उसवाल ग्याति गोवंशे सा० जयता भार्या वोरणि पुत्र सा० सूपा० भा० नया पु० सरवण भ्रा० सा. संधारण समस्तपुण्यार्थ श्रीआदिनाथ बिम्ब कारितं प्र० श्रीख (घ) देरगच्छे श्री.सा लिभद्रसूरिभिः। (२१६) रांवत १५३१ वर्ष माघ वर्वाद प्रतिपदा सोमे साडिया प्राग्वाटज्ञातीय ठ० नरपाल भार्या वापू सुत समरण सूरानीनायोर्थ श्रीआदिनाविध श्रीसौराष्ट्रगच्छे भटारिक (? भट्टारक) श्रीक्षि (क्ष भाव (म ?) द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं च ! (२१७) मं० १५१ वर्ष वै. F. ६ सौम श्र उ शक्शे आभूसन्ताने भ० भोजा पुत्र नम्णुतादूति भ० जोल्हा नारदाभ्यां श्रीअभिनन्दन जिनबिंचं कारितं प्र. श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनचन्दसूरिभिः ।। (२५८) सम्बत् १५३१ ज्येष्ट सुदि २ रवो श्रीश्रीमालजातीय प० हाथी भा० है मादे सुत दूमणेना भा० रगो सुत अदादिकुटुम्धयुतेन भ्रातृ धोधर ख मा श्रयं यं श्रीशांतिनाबिन म.० पू० गुणधीरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रनिष्ठितं च विधिना विरमग्रामे ॥ २१५. श्राअन्तरिक्ष पार्श्वनाथमंदिर सिरपुर २१६. भी महावीर मंदिर पायधुनि बांबई २१७. खरतरगच्छीय बड़ा मंदिर तूलापट्टी कलकत्ता २१८. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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