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________________ परिशिष्ट ] सम्वत् १८६१ मिते माघसित पंचम्यां चंद्रवासरे श्रीपादलिप्तनगरे गोहिल श्रीकाधाजी कुंअरश्रीनोंधणजी तस्य पुत्र प्रतापसिंघजीविजयराज्ये श्रीमकसूदावाद-~~बालुचरवास्तव्य बृहतशाखा उसवालज्ञातीय दुगडगोत्रे निहालचंदजी तस्यपुत्र इन्द्रचंदजी श्रीशजयतीर्थयात्राविधानसंप्रामनवीनजिनमुक्तबिम्ब, श्रीसा. धर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रेसप्तस्ववित्तसं० श्रीविमलाचलोपरिविहारशृङ्गारहार श्रीरिषभजिनबिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीबहत्खरतरगच्छे भ० यंगम युगप्रधान श्रीजिनहर्षसूरीश्वर विजयराध्ये वा० कल्लाजी शिष्य पं. जयवन्तजी शिष्य पं० देवचन्द्रेण प्रतिष्ठितं ।। जोडे जिन बिम्ब दोय, बिम्ब ३ ओर है, सर्व ६ बिम्ब श्राला २ खाली है। इण आगे बडी पोल है। पहेली पोलमे वडता जीमणे पासे चोमुखजी में तीजो मंदिर--- सम्वत् १८६३ शाके १७५८ प्रमिते माघसित १० बुधे मकसूदावाद ( वास्तव्यः) उकेशज्ञातीय वृद्धशाखाया नवलखागोत्रे सा० नसरुपजी तत्भार्या रुकमादे तत्पुत्रं हर्षचंदजी सपरिवारयुतेन श्री. शान्तिनाथजीजिनबिम्बं नवीनविहारकारितं बहत्खरतरगच्छे । मूलसहित बिम्ब आठ हैं। दूजोमन्दिर सम्वत् १८६३ प्रमिते वैशाख सित ३ वार शुक्र श्रीपादलिप्तनगरे गोहिल श्रीकाधाजी कुंअरनोधणजी तत्पुत्र प्रतापसिंहजी विजयराज्ये श्रीमकसूदावाद-बालुचर वास्तव्य बृहत्शाखा प्रकट उकेशज्ञातीय दुगडगोने बाबू बुधसिंहजी तत्पुत्र बहादुरसिंहजी ततभाता बाबू प्रतापसिंहजी तद्भार्या महताबकुंअर श्रीशर्बुजययात्राविधानसंप्राप्त बाबू प्रतापसिंहजी श्रीसंघपतितिलक........ नवीनजिनभुवन....................साधर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रेसप्तस्ववित्तसं० श्रीविमलाचलोपरिविहारशृङ्गारहार श्रीसंभवनायजी त० श्रीपार्श्वनाथजी त० शीतलनाथजीबिम्बं कारितं "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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