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________________ परिशिष्ट ] तिणमे लिखत तिणमे एहिज लेख जाणवा। बिम्ब ११ हैं। भगवान जी के जीमणेपासे मंदिर है । तिसरी नकल संवत् १८६३ वर्षे शाके १७५८ प्रवर्तमाने माघ शुक्ल पक्ष तिथौ त्रयोदशी बुधवासरे। श्रीगुर्जरदेशे श्रीअहमदाबादनगरे श्रीमालज्ञाती लघुशाखायां साहजी दामोदरदास तत्पुत्र साह प्रेमचन्द्र तत्पुत्र सा........यमुनादास तत्पुत्र खेमचन्द............प्रमुख कुटुम्बयुतेन सा. यमुनादास स्व श्रेयसे श्रीपद्मप्रभजिनबिम्ब कारापितं प्रतिष्ठितं च संविज्ञमार्गीय श्रीतपागच्छे श्रीविजयसिंहसूरिसंतानीय संविज्ञ मार्गीय श्री ५० पविजयगणि शि० पं० रूपविजय गणिभिः प्रतिष्ठितं च ।। बिम्ब १५ ___ एलिखत है प्रतिमा मूलनायकनी सामने पुंडरीकजीनी थापना मूलनायकजी ना द्वार पूर्व छे । भगवान जी सेती डावे पासे मंदिर है तिनका लेख इसा है-- स्वस्ति श्री विक्रमात् संवत् १८६३ वर्षे शाके १७५८ प्रवर्त्तमाने माघमासे शुक्ल पक्ष दशमी तिथौ बुधवासरे श्री गुर्जरदेशे श्री अहम्मदावाद नगरे श्रीमाल ज्ञातौ लघुशाखायां सा० श्री ५ दामोदरदास तत्पुत्र सा० पू० प्रेमचन्द्र तत्पुत्र सा० कर्मचन्द्र तत्पुत्र सा० श्री० पू श्रीमूलचन्द्र तेन स्वश्रेयोथे श्रीपद्मप्रभबिम्ब कारापितं प्रतिष्ठित च संविज्ञ तपागच्छे श्री विजयसींहसूरिसन्तानीय श्री पू० श्री पद्मविजय गणिभिः पं० रूपविजय गणिभिः । ___ कमल लंछन बिंब १२, ७ बाहिर बिम्ब ३ देहरी में बगतामा थासे। मूलनायकजी से जीमणे पासे यक्ष (गोमुख) गबै पासे (चक्रेश्वरी) देवी है। छीपावसीनी विगत सम्वत १७४१ वर्षे वैशाष शुदि ७ विधपक्षे विद्यासागरसरि विजयराज्ये सूरतनगर वास्तव्यः सा० गोविन्दजी पुत्र गोडीदास चीम. नदास कारितं श्रीआदिनाथबिम्ब प्रतिष्ठितंच खरतरगच्छे उपाध्याय दीपचंद गणि पं० देवचन्द्र गणिना। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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