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________________ परिशिष्ट ] [५ सारी बात जाणो छो काम करो सो विचारने करजो जे कदास भोले भावे कीनो तो आगे थाने सारी वात सुं विचार करणो पड़े सो आविचार्यो काम न करज्यो । इण बात सु थाहरो सदा मरजादीकपणो रेहसी तौ जाणज्यो । सं० १६०२ वैशाष वदि १ । तथा जूनेगढ़ वाला ने थे सारी बातरी जतावणकर देज्यो, लिख देज्यो। जैपुर, अजमेर, पाली प्रमुख कोई सामेलो हुवो नही ते विवहार सर्व ने जतावणी कर देज्यो। नकल है। पता-) २४ गुरांजी श्री १०८ श्री हीराचंदजी मोतीचन्दजी माणिकचंद जी सपरिकरान् हजूररे परवानेरी नकल छै (छाप ) श्रीलक्ष्मीनारायणजी स्वस्ति श्रीमहाराजाधिराज, राजेश्वर नरेन्द्रशिरोमणि श्री रतनसिंहजी महाराज कंबर श्रीसरदारसिंघजी वचनात श्रीवीका. नेर रा साहुकारा परदेस में छै तिका समतो दिसी सुप्रसादवंचे। अपंच भट्टारक श्रीपूज्यजी श्रीजिनसौभाग्यसूरिजीनै म० श्री पू. श्री जिनमहेन्द्रसूररी सरावका मन्या हुवे तो थेई ईयांनै मानज्यो, नहीं तो कुही मानणरो मुदो नहीं । संवत् १६ (0) मिति श्रावण सुदिक मुकाम पायतषत श्रीवीकानेर कोट दापल । स्वस्ति श्री वीकानेररा साहुकारां परदेस मे छै तिकां समता (दे) जो श्रीवीकानेर सुं लिषतु मुहता महाराव हींदुमलरा जुहार वांचज्यो अठारा समाचार श्रीजीरी निजरसँ भला छै। थाहरा सदा भला चाहिजै । अपंच श्रीपूजजी श्रीजिनसूसौभग्यसूरिजीने श्री पू० जिनमहेन्द्रसूरिजीरे सराबको मन्यां हूवै थे भी या मानज्यो। न माना हूवै तो न मानज्यो ! संवत १९०२ मिती श्रावण सुदि ८। श्रो काम महता हीदुमलजी लिष दियो छै तिनरी नकल है । "Aho Shrut Gyanam
SR No.009681
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year1950
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size4 MB
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