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________________ [ग] श्रीमहिमा समुद्रजो कृत जैसलमेर चैत्य परिपाटी [ राग वेलावल } आज आनन्द वधावना, हुआ जय जय कार जिनवर या जुहारिये, जैसलमेरु मकार ॥ १ जग गुरु श्रीमहावीरजी, जिनवर प्रथम बखाए । शिखर करायो बड़ड़िये, नमता जनम प्रमाण ॥ २ वीजे जिनवर नेटिये, यादिसर अरिहन्त । प्रवर मंढायो गणधरे, सवि जन मन मोदन्त ॥ ३ श्रीचन्द्र प्रन स्वामिनो, चौमुख जवन उदार । अति सुन्दर जयशालीये, करायो सुखकार ॥ ४ भुवन जिनेश्वर कुंधुनो, अष्टापद अवतार । संघविये ये करावियो, कोरणी अधिक उदार ॥ ५ ऊपर जुवन सुहावनो, श्री शान्तिश्वर स्वाम । धन धन वीदो संघवी, जिन राख्यो निज नाम ॥ ६ श्री सम्जव जिन सेविये, जाव जगत उबरंग | चैत्य करायो चोपड़े, बिंब अनेक सुचंग ॥ ७ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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